
Gujarat: Rescued after being buried alive by parents, newborn girl dies
गुजरात की गिनती देश के सबसे विकसित राज्यों में होती है। माना जाता है कि गुजरात के लोग गरीब नहीं होते हैं। लेकिन अब गुजरात से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। गुजरात के हिम्मतनगर जिले में एक गरीब दंपत्ती ने अपनी नवजात बच्ची को जिंदा ही दफना दिया था। दंपत्ती का कहना था कि उनकी बच्ची बीमार थी, लेकिन उसका इलाज कराने के लिए उनके पास पैसा नहीं था।
हालांकि समय रहते जिंदा दफनाई गई बच्ची पर एक किसान नजर पड़ी। उसने बच्ची को मिट्टी से निकाल कर अस्पताल पहुंचा। अस्पताल में बच्ची का इलाज शुरू तो हुआ लेकिन 9 दिन के इलाज के बाद आज उस बच्ची की मौत हो गई। बताया गया कि नवजात ने नौ दिनों तक अस्पताल में जिंदगी से लड़ते हुए दम तोड़ दिया।
गुरुवार सुबह हिम्मतनगर के सरकारी अस्पताल में इस नवजात ने अंतिम सांस ली। सरकारी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आशीष कटारकर ने स्थानीय मीडिया को बताया कि बुधवार की रात उसे कई समस्याएं हुई हालांकि डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की, लेकिन सुबह करीब 5 बजे उसकी मृत्यु हो गई। डॉक्टर ने कहा कि गोम्बोई पुलिस अधिकारी को मौत के बारे में सूचित कर दिया गया है और पुलिस प्रक्रिया पूरी होने के बाद, पोस्टमार्टम किया जाएगा।
अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस के निर्देशों के अनुसार अंतिम संस्कार भी होगा। बता दें कि नवजात के माता-पिता न्यायिक हिरासत में हैं। बताया गया कि 4 अगस्त को किसान हितेंद्रसिंह ने अपने खेत में बच्ची को दफना दिया था। कुछ पड़ोसियों की मदद से बच्ची को बचाया गया और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की मदद से हिम्मतनगर के सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
पुलिस को 24 घंटे से भी कम समय में बच्ची के माता-पिता मिल गए, जिनकी पहचान मंजुला और शैलेश बजनिया के रूप में हुई है। उन्होंने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि बच्चे को दफना दिया है क्योंकि उसका जन्म समय से पहले हो गया। आर्थिक रूप से कमजोर माता पिता ने बच्चे को दफनाने का फैसला लिया। पुलिस ने हत्या के प्रयास के आरोप में माता-पिता को गिरफ्तार कर लिया है। अब शिशु की मौत के बाद दंपत्ति के खिलाफ हत्या की धारा लगाई जाएगी।
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Published on:
11 Aug 2022 03:40 pm
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