सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अपराध को अंजाम देकर उस शख्स ने एक पिता और उसकी बेटी के बीच मौजूद भरोसे के उस अनदेखे ‘पवित्र धागे’ को तोड़ दिया था। न्यायाधीश दासगुप्ता ने व्यक्ति को 20 साल के कठोर कारावास और 5000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। राज्य के अधिकारियों को भी मुआवजे के रूप में बच्चे को 300,000 रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।
मात्र छह साल की बच्ची के साथ किया था दुराचार-
बता दें कि इस केस में पीड़िता की उम्र मात्र छह साल है, ऐसे में आरोपी पर पॉस्को एक्ट शोषण के मामले में 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। कैनाल ईस्ट रोड निवासी व्यक्ति के खिलाफ उसकी पत्नी ने 11 अगस्त 2021 को मानिकतला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। महिला ने अपनी शिकायत में दावा किया कि उसके पति ने 5-6 दिन पहले उसकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था जब वह घर पर नहीं थी।
11 अगस्त 2021 को सामने आया था मामला-
उस व्यक्ति को 12 अगस्त, 2021 को गिरफ्तार किया गया था और आईपीसी की धारा 376 (2) (एफ) के तहत पॉस्को अधिनियम, 2012 की धारा 6 के तहत आरोप लगाया गया था। शिकायतकर्ता के मुताबिक मामला सबसे पहले 11 अगस्त 2021 को सामने आया, जब वह काम के लिए घर से निकल रही थी। उसने अपनी बेटी को अपने पिता के साथ रहने के लिए कहा लेकिन बच्चे ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
माता-पिता पर बच्चे के विश्वास को तोड़ता है ऐसा कृत्य-
पूछताछ के दौरान लड़की ने अपनी मां को बताया कि कैसे उसके पिता ने कुछ दिन पहले उसका यौन शोषण किया था। महिला अपने पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने तुरंत थाने गई। बच्ची को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया और मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान दर्ज किया गया। नरेंद्रनाथ दासगुप्ता, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई के दौरान, विशेष लोक अभियोजक विवेक शर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे इस तरह का कृत्य उस विश्वास को नष्ट कर देता है जो एक बच्चे का अपने माता-पिता पर होता है।