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रामपाल हो या राम रहीम, आसाराम पर शिकंजा कसने के बाद तेज हुई धरपकड़

locationनई दिल्लीPublished: Oct 11, 2018 02:47:48 pm

ध्यान देने वाली बात यह है कि रामपाल हों या गुरमीत राम रहीम, इस तरह के ढोंगी बाबाओं के खिलाफ कार्रवाई 2013 में आसाराम से शुरू हुई।

Indian Saint behind bars

रामपाल हो या राम रहीम, बाबाओं की धरपकड़ की शुरुआत करवाई आसाराम ने

नई दिल्ली। स्वयंभू बाबा रामपाल को हिसार की विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को हत्या के दो मामलों में दोषी करार दिया। राम रहीम के मामले में हुई हिंसा से सबक लेते हुए हिसार जेल में ही अदालत लगाई गई और जज ने यहीं अपना फैसला सुनाया। अदालत ने जेल में ही कार्यवाही पूरी की। हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि रामपाल हों या गुरमीत राम रहीम, इस तरह के ढोंगी बाबाओं के खिलाफ कार्रवाई 2013 में आसाराम से शुरू हुई।
कहा जा सकता है कि वर्ष 2013 में हुई आसाराम की गिरफ्तारी के बाद से सरकार की कृपा दृष्टि बाबाओं पर हट गई। आसाराम की गिरफ्तारी से पहले इन बाबाओं को सरकारी तंत्र से भरपूर समर्थन मिलता था, वहीं आसाराम के गुनाहों का पर्दाफाश होने के बाद इन सभी की दुनिया अंधकारमय हो गई। आसाराम के सलाखों के पीछे जाने के बाद अब तक कई बड़े बाबा जेल पहुंच चुके हैं।
रामपाल, राम रहीम, वीरेंद्र देव दीक्षित, जलेबी बाबा, आसिफ खान जैसे लाखों अनुयायिओं वाले इन बाबाओं को सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिली है। गौरतलब है कि इन बाबाओं पर दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर आरोप हैं। भले ही पुलिस गिरफ्त में आने से पहले सरकार में इनकी मजबूत पकड़ रहीं हो, पकड़े जाने के बाद इनका कोई पालनहार नहीं बचा है।
सख्त कार्रवाई कर रामपाल को दबोचा

बृहस्पतिवार को रामपाल को जिस मामले में सजा सुनाई गई उसमें पहला केस महिला भक्त की संदिग्ध मौत का है। इसकी लाश रामपाल के सतलोक आश्रम से 2014 में बरामद की गई थी। जबकि दूसरा केस करीब 10 दिनों तक चली उस हिंसा का है जिसमें रामपाल के भक्त पुलिस से भिड़ गए थे। इस दौरान चार महिलाओं और एक बच्चे की जान चली गई थी।
हरियाणा के बाबा रामपाल को पुलिस ने 19 नवंबर 2014 को धरदोबाचा था। उसके आश्रम का पुलिस ने घेराव कर उसे पकड़ा था। उस पर हत्या के कई मामले दर्ज थे। प्रशासन ने सख्त आदेश दिए थे कि उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए। इस दौरान पुलिस मुठभेड़ में बाबा के कई अनुयायी भी मारे गए थे।
जेल में रामपाल
आशु महाराज उर्फ आसिफ मोहम्मद

दिल्ली पुलिस ने सितंबर 2018 में आशु महाराज के नाम से सक्रिय आसिफ मोहम्मद को उसके दिल्ली स्थित आश्रम से गिरफ्तार किया। आसिफ पर एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी से बलात्कार का आरोप है। एक वक्त पंचर बनाने का काम करने वाले आसिफ ने गोरखधंधे किए और हिंदू धर्मगुरु बन बैठा। पुलिस पूछताछ में उसने खुलासा किया था कि उसने अपना नाम आशु महाराज इसलिए ही रखा क्योंकि वो जितना हिंदू धर्मगुरु बनकर पैसा कमा सकता था, उतना मुस्लिम धर्मगुरु बनकर नहीं। बताया जाता है कि दिल्ली के पॉश इलाके हौजखास में उसने आश्रम बनाया हुआ है और लोगों का हाथ देखने के एवज में वो 20 से 25 हजार रुपये वसूलता था।
जलेबी बाबा

बीती जुलाई में हरियाणा के जिला फतेहाबाद स्थित टोहाना में बने बाबा बालकनाथ मंदिर के पुजारी का वीडियो सामने आया था। मंदिर का पुजारी अमरपुरी जिसे बिल्लू या जलेबी बाबा के नाम से भी जाना जाता है, के एक वायरल हुए वीडियो के बाद खुलासा हुआ कि इसने 120 महिलाओं से शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद अमरपुरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
पुलिस ने बिल्लू के खिलाफ बलात्कार, आईटी एक्ट, ब्लैकमेलिंग आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। गिरफ्तारी के दौरान की गई छापेमारी में पुलिस को बाबा के पास से 120 वीडियो बरामद हुए। इन वीडियो को बिल्लू ने महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाने के दौरान रिकॉर्ड किया। इसके अलावा पुलिस ने तंत्र-मंत्र का तमाम सामान और नशीली गोलियां भी बरामद कीं।
राम रहीम पर कड़ी कार्रवाई

रेप के आरोपी राम रहीम के हरियाणा और दिल्ली में लाखों अनुयायी हैं। उनकी ताकत को देखते हुए कई राजनेताओं ने चुनाव के समय उनसे मदद भी मांगी थी। मगर अब जेल में बंद राम रहीम को कोई सुनने वाला नहीं है। एक समय था कि जब खुद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बाबा राम रहीम के सामने नतमस्तक रहते थे।
हरियाणा में चुनाव के दौरान राम रहीम ने भाजपा को समर्थन देने की बात कही थी। मगर जीतने बाद हरियाणा के सीएम की तरफ उन्हें कोई राहत नहीं मिली। अनुयायियों के भारी विरोध के बाद भी बाबा को कैद कर कोर्ट के सामने पेश किया गया। अगस्त 2017 में उन्हें सजा सुनाकर जेल भेज दिया गया और फिलहाल वो रोहतक जेल में है।
बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम को किया सील

दिल्ली के रोहणी आश्रम में बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित पर कई नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के आरोप हैं। इस मामले में भी सरकार ने कोई ढीलाई नहीं बरती। भगोड़े बाबा की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए उनके आश्रम को सील कर दिया गया। इसके बाद मई 2018 में सीबीआई ने वीरेंद्र देव के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया था। दिसंबर 2017 में इसके आश्रम पर छापेमारी की गई थी।
आसाराम के मोदी से थे अच्छे संबंध

2013 में पकड़े जाने से पहले आसाराम की राजनीतिक पकड़ काफी ज्यादा थी। एक समय था तब गुजरात में सीएम रहे नरेंद्र मोदी उनके आश्रम भी आए थे। मोदी के पीएम बनने के बाद आसाराम को कुछ राहत मिलने की उम्मीद थी। मगर अब तक उन्हें भाजपा की तरफ से कोई समर्थन नहीं मिला है।

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