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… तो इस वजह से हुई दिल्‍ली की भीषण अग्निकांड में 43 लोगों की मौत?

रानी झांसी इलाके की गलियां संकरी होने से राहत कार्य में आई बाधा फायर ऑफिसर को एक बिल्डिंग में आग की सूचना दी गईं थी जिस बिल्डिंग में आग लगी उसमें बेकरी का काम होता था

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नई दिल्ली। रविवार को अनाज मंडी की संकरी गलियों में भीषण आग की घटना दिल्‍ली के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी आग की घटना साबित हुई। इससे पहले आग की सबसे बड़ी घटना दशकों पूर्व उपहार अग्निकांड की हुई थी। रविवार को हुई दर्दना अग्निकांड में अभी तक 43 लोगों की मौत हुई है। मरने वाले लोगों की संख्‍या अभी बढ़ सकती है।

दूसरी तरफ इस अग्निकांड में तरह-तरह की बातें होने लगी हैं। लोग एक-दूसरे का जिम्‍मेदार ठहराने में लग गए हैं। दरअसल दिल्ली के जिस अनाज मंडी इलाके के रानी झांसी वाले इलाके आग की घटना घटी है वहां की गलियां बहुत संकरी हैं। आसपास पानी का साधन भी नहीं है। जिस कारण दमकल की गाड़ियों को दूर-दूर से पानी लाना पड़ा।

चीफ फायर ऑफिसर ने बताया कि उन्हें जब आग लगने की जानकारी दी गई तो सिर्फ यह बताया गया था कि एक बिल्डिंग में आग लग गई है। यह नहीं बताया गया कि वहां लोग फंसे हैं।

उन्होंने कहा कि अगर हमें बताया जाता कि यहां इतनी बड़ी संख्या में लोग फंसे हैं तो हम और ज्यादा दल-बल के साथ यहां पहुंचते। उस स्थिति में ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

चीफ फायर ऑफिसर के मुताबिक 50 से ज्यादा लोगों को निकाला जा चुका है। उनमें से ज्यादातर लोगों की जान बच जाएगी। हालांकि जिन्हें निकालने में देर हो गई, उनके बचने की उम्मीद काफी कम है क्योंकि धुआं इतना गहरा गया था कि दम घुटने की आशंका बहुत ज्यादा है।

दरअसल, अनाज मंडी के जिस बिल्डिंग में आग लगी उसमें फैक्ट्री के साथ-साथ लोगों की रिहाइश भी है। बताया जा रहा है कि बिल्डिंग में बेकरी गोदाम चल रहा था और लोग वहीं सोते भी थे। यहां पैकेजिंग का काम भी होता था। चूंकि फैक्ट्रियां आपस में जुड़ी हुई हैं।

इसलिए आग जल्दी-जल्दी फैलती गई। इलाके की गलियां बेहद संकरी हैं, इसलिए एक बार में एक ही गाड़ी अंदर जा सकती है। इससे भी राहत कार्य को तेजी से अंजाम नहीं दिया जा सका। यही वजह है कि धुएं का गुबार फैलता गया और लोग बेहोश होने लगे।

नॉर्थ दिल्ली की डीसीपी मोनिका भारद्वाज ने बताया कि ऐम्बुलेंस की 70 गाड़ियां लोगों को अस्पताल पहुंचाने में जुटी थीं। वहीं करीब 35 फायर ब्रिगेड टीमें राहत कार्य में जुट गई थीं। चार घंटे से ज्यादा वक्त से राहत कार्य चल रहा है।

फिलहाल घटनास्‍थल से निकाल गए लोगों को एलएनजेपी, सफदरजंग, हिंदूराव और आरएमएल अस्पतालों में पहुंचाया गया है। कहा जा रहा है कि इन अस्पतालों का बर्न वॉर्ड घटना के शिकार लोगों से भर चुका है। इनके इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों से भी डॉक्टरों को बुलाया गया है। एलएनजेपी, सफदरजंग समेत चार अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है।