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What Is Child Pornography: इंडिया में चाइल्ड पोर्नोग्राफी इंटरनेट पर सर्च करना गैरकानूनी, पकड़े जाने पर भारी जुर्माने के साथ 7 साल की कड़ी सजा

Child Pornography: चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना न केवल क्राइम है बल्कि इसके लिए 7 साल तक की सजा का भी प्रावधान है। इंडिया में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर क्या लॉ है। अपराध करने और सजा तक की पूरी स्टोरी को आइए जानते हैं…

Jun 22, 2023 / 10:26 am

Vikash Singh

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चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक क्राइम है जिसमें बच्चे का यौन आग्रह या नाबालिग (Minor) की भागीदारी वाली अश्लील सामग्री का निर्माण शामिल है।


Child pornography in India: इंडिया में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना न केवल क्राइम है बल्कि इंटरनेट पर सर्च करते, वीडियो देखते पकडे गए तो 7 साल तक की सजा का भी प्रावधान है।

चाइल्ड पोर्नोग्राफी क्या होता है? इस अपराध में IPC के कौन-कौन सेक्शन शामिल होते हैं और उनके लिए अधिकतम सजा क्या है आइए सब कुछ जानते हैं…
सबसे पहले जानते हैं कि पोर्नोग्राफी क्या होती है : What is pornography

पोर्नोग्राफी (Pornography) एक ऐसी कला है, जिसमें लोगों की नंगी तस्वीरें या अश्लील वीडियो (Nude Video) दिखाई जाती है। यह वीडियो या तस्वीरें अक्सर सेक्स या सेक्सुअल एक्टिविटी को दिखाते हुए बनाई जाती हैं, इस तरह की कला ज्यादातर लार्ज स्केल पर से इंटरनेट पर मौजूद होती हैं।
पोर्नोग्राफी के बारे में लोगों के अलग-अलग मत हैं। कुछ का मानना है कि इसे पूरी फ्रीडम के साथ बनाया जाना चाहिए और लोग जिसे देखना चाहते हैं वह देख सकते हैं। दूसरी ओर, लोगों का मानना है कि इसका मेंटल स्टेट और समाज पर इसका असर नकारात्मक होता है और इसे बंद करना चाहिए।
पोर्नोग्राफी से जुड़ी कुछ दिक्कतें भी हैं। इसका इस्तेमाल बाल विवाह, जंगली जानवरों के साथ अश्लीलता, धर्म और संस्कृति को अपमानित करने, भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसे कुछ दुष्परिणामों का कारण भी बनता है।
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चाइल्ड पोर्नोग्राफी क्या है इसके बारे में जानते हैं: What is child pornography?

चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक क्राइम है जिसमें बच्चे का यौन आग्रह या नाबालिग (Minor) की भागीदारी वाली अश्लील सामग्री का निर्माण शामिल है। बच्चों को बहला-फुसलाकर ऑनलाइन संबंधों के लिए तैयार करना, फिर उनके साथ यौन संबंध बनाना या बच्चों से जुड़ी यौन गतिविधियों को रिकॉर्ड करना, एमएमएस (MMS) बनाना, दूसरों को भेजना आदि भी इसके तहत आते हैं। नाबालिग उन बच्चों जाता है जिनकी उम्र 18 साल से कम की होती है।
भारतीय कानून व्यवस्था के मुताबिक, चाइल्ड पोर्नोग्राफी की इमेज बनाना, उसको शेयर करना गैरकानूनी है। इसके अलावा, चाइल्ड पोर्न कंटेंट रखना और देखना भी अपराध है। POCSO Act 2012 के धारा 14 और 15 में साफ-साफ बताया गया है कि किसी भी बच्चे का इस्तेमाल चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिए करने पर 5 साल की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
इसके साथ ही, IT एक्ट की धारा 67B में भी किसी भी तरह के चाइल्ड न्यूड कंटेंट को रखना, ब्राउज करना, डाउनलोड करना, एडवर्टाइज करना, प्रमोट करना और शेयर करना गैरकानूनी है। इन एक्टिविटीज को परफॉर्म करने वाला भारी मुसीबत में पड़ सकता है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर कानून क्या कहता है : Law on Child Pornography?

चाइल्ड पोर्नोग्राफी (Child pornography) में चाइल्ड सेक्स ट्रैफिकिंग (sex trafficking), ऑनलाइन चाइल्ड सेक्स सॉलिसिटेशन (sex solicitation and child molestation) और चाइल्ड मोलेस्टेशन का प्रोडक्शन, स्टोरेज, बांटना और इससे रिलेटेड क्राइम शामिल हैं।
पुरे वर्ल्ड में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होती है। इस अपराध के बाद, सरकारें चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ कड़ी सजा के लिए कानून बनाती हैं। इसके अलावा, अपराधों की पहचान करने और उन्हें रोकने के लिए संगठनों और समुदायों द्वारा कई पहल भी की जाती हैं। जिससे इस तरह के हिनियस क्राइम को रोका जा सके।
पोर्नोग्राफी पर भारतीय कानून क्या कहता है?

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) एक्ट 2000, भारतीय दंड संहिता (IPC) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) एक्ट 2012 में पोर्नोग्राफी से जुड़े कई नियम हैं आइए आपको बताते हैं कि इनमें क्या प्रावधान किये गए हैं।
भारत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को गंभीर अपराध के तौर पर माना जाता है और इस पर कई कानून हैं

भारतीय दण्ड संहिता, 1860: इस दंड संहिता के मुताबिक बाल यौन उत्पीड़न और बाल अश्लीलता को अपराध के रूप में माना गया है।
धारा 354, 354A, 354B, 354C और 376AB में बाल यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों के लिए सजा दी गई है।

बाल अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019: यह अधिनियम भारत के सभी बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम में, बाल यौन उत्पीड़न, बाल अश्लीलता और बाल विपत्ति जैसे अपराधों के लिए कानून हैं।
चाइल्ड लेबर (बैन) अधिनियम, 2016: यह अधिनियम बच्चों को श्रम से मुक्ति देने के लिए बनाया गया है। यह अधिनियम उन लोगों के खिलाफ होता है जो बाल श्रम, बाल यौन उत्पीड़न और बाल अश्लीलता जैसे अपराधों में बच्चों का इस्तेमाल करते हैं।

अपराध के बाद आइए इसमें मिलने वाले सजा के बारे में जान लेते हैं


पहली बार अपराध करने पर पांच साल की जेल और दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। वहीं, दूसरी बार अपराध करने पर सात साल तक की जेल या दस लाख रुपये तक जुर्माना या सजा और जुर्माना दोनों एक साथ हो सकती है।
क्या कहता है NCRB का आंकड़ा?

साल 2022 में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के 20 मामले दर्ज हुए हैं। जनवरी 2023 के आंकड़े के मुताबिक 15 मामलों में पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश कर दिए थे।
 

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