26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

परिवार नियोजन के लिए महिलाएं जागरूक पुरुषों में नहीं रुचि, पिछले साल एक भी पुरुष नहीं कराया था ऑपरेशन,

परिवार नियोजन के लिए महिलाएं जागरूक पुरुषों में नहीं रुचि, पिछले साल एक भी पुरुष नहीं कराया था ऑपरेशन, इस बार लक्ष्य

2 min read
Google source verification

डबरा

image

Gagan Saxena

Jan 19, 2019

womens

mayelao ki bhird

डबरा। परिवार नियोजन के प्रति अभी भी पुरुष जागरूक नहीं है वहीं सिविल अस्पताल दिए गए लक्ष्यों को पूर्ण तक नहीं कर पा रहा है। पिछले साल एक भी पुरुष नसबंदी ऑपरेशन नहीं हुए थे। हालांकि इस साल (2018-19) तीन पुरुष ऑपरेशन हुए है। महिलाओं की तुलना में आज भी पुरुषों की संख्या ना के बराबर है। वर्ष 2018-19में अभी तक महिलाओं की ऑपरेशन संख्या712है। जबकि पुरुषों की संख्या मात्र अभी तक तीन हुई है। सिविल अस्पताल को इस साल का लक्ष्य 19 सौ ऑपरेशन किए जाने का दिया गया है।

सिविल अस्पताल से प्राप्त आंकड़े इस बात को स्वीकार करते हेै कि पुरुषों में अभी भी परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता नहीं आई है। यह ऑपरेशन सर्दीयों में ज्यादा होते है और इस दौरान शिविर भी लगाए जाते है। सिविल अस्पताल में बुधवार और शुक्रवार को शिविर लगाया जाना निर्धारित है। महत्वपूर्ण बात यह है कि सिविल अस्पताल में महिला सर्जन और गायॅनिक चिकित्सक नहीं होने से महिलाओं को काफी परेशानी होती है। ग्वालियर से महिला चिकित्सक के आने के कारण महिलाओं को काफी समय तक इंतजार करना पड़ता है। शुक्रवार को भी शिविर के दौरान पंजीयन के बाद बीपी जांच हुई लेकिन दोपहर बाद ही ग्वालियर से महिला चिकित्सक अस्पताल पहुंची। ऐसे में महिलाओं का पूरा दिन निकल जाता है और देर शाम को अपने घर पहुंच पाती है।

प्रोत्साहन राशि 21 सौ फिर पुरुष नहीं कराते : पिछले सालों के आंकड़े देखे जाएं तो महिलाओं की संख्या पुरुष संख्या से सौ गुना ज्यादा होती है यानि कि पुरुष संख्या ना के बराबर रहती है। जबकि पुरुषों को परिवार नियोजन अपनाने के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में 21 सौ रुपए मिलते है जबकि महिलाओं को प्रोत्साहन राशि के रूप में 14 सौ रुपए मिलते है। साथ ही प्रेरक जो लेकर आते है पुरुष को लाने वाले को 300 रुपए और महिलाओं को लाने वाले प्रेरकों को 150 रुपए प्रेरक राशि मिलती है। बावजूद इसके पुरषों की रूचि नहीं है पिछले साल 2017-18में एक भी पुरुष ने परिवार नियोजन नहीं अपनाया था।

लक्ष्य नहीं हो पाता पूर्ण : इस बार वर्ष २०१८-१९ का लक्ष्य १९ सौ मिला है जिसमें अभी तक ७१२ महिलाओं ने और 3 पुरुषों ने ऑपरेशन कराए है। जबकि वर्ष 2017-18 में 1330 महिलाओं ने ऑपरेशन कराए थे और पुरुष की संख्या निल रही थी। जबकि टारगेट 18 सौ का मिला था।

नहीं हुए जागरूक: टॉयलेट को लेकर बनी फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा से लोग प्रेरित होकर शौचालय बनवाए लेकिन परिवार नियोजन के लिए बनी फिल्म पोस्टर बॉयज से पुरुष कोई जागरूक नहीं हुए है। जबकि यह फिल्म पुरुषों में जागरूकता लाने के लिए बनाई गई। जिसमें यह बताया गया कि पुरुष नसबंदी इसलिए नहीं कराते कि उनकी मर्दानगी पर असर पड़ेगा जिसमें पुरुषों की यह सोच बताई गई थी जबकि डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा कुछ भी नहीं होता।

इनकी सुनें: पुरुषों की सोच अभी भी नहीं बदली है जागरूकता नहीं आई है पुरुषों की सोच पुरानी धारना को लेकर बनी है उनकी सोच यह है कि उनकी मर्दानगी पर असर पड़ेगा जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता। यही कारण है कि पुरुष ऑपरेशन नहीं कराते है। टारगेट पूरा करने के लिए टीमें लगी रहती है। ग्वालियर से डॉक्टर के आने के कारण लेट हो जाता है।
डॉ. अरविंद शर्मा: सीबीएमओ सिविल अस्पताल डबरा