21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अंग्रेजों के बनाए तालाब से हो रही 4200 हेक्टेयर खेतों में सिंचाई

1929 में 7 लाख से बने तालाब से खिल रही है धान

2 min read
Google source verification
4200 hectare fields being irrigated by the British-made pond

4200 hectare fields being irrigated by the British-made pond

बम्हौरीमाला. माला जलाशय का निर्माण अंग्रेजों ने कराया था, भले ही उस समय अंग्रेजो का उद््देश्य दूसरा रहा हो, लेकिन वर्तमान में इस जलाशय के 12 गांवों में धान की दूसरे क्षेत्रों से ज्यादा पैदावार हो रही है और यह गांव धान के धन धान्य से समृद्ध होते जा रहे हैं। जिससे इन गांवों में रहने वाले अधिकांश किसान संपन्न हैं और कृषि का साजो सामान सभी के पास उपलब्ध है।
माला जलाशय के अमीन महेंद्र खरे बताते हैं कि माला 1929 में तालाब का निर्माण पूर्ण हो गया था, तब यह तालाब 7 लाख 12 हजार में बनाया गया था। तब इसकी क्षमता 2631 हेक्टेयर थी, जो अब बढ़कर 4200 हेक्टेयर हो गई है। इस तालाब में पानी एकत्रित करने की क्षमता 16.87 मिलीयन घन मीटर है। इस तालाब में फुट के हिसाब से 21 फुट जलभराव की क्षमता है। जब इस तालाब का निर्माण हुआ था, उस समय खरीफ की फसल 1619 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होती थी और रवि फसल में 1012 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होती थी, जो बढ़कर 3200 हेक्टेयर भूमि से अधिक हो चुकी है। महेंद्र खरे ने बताया कि सन 1989 में इमलिया पार टूट गई थी, जब तालाब का वेस्टवियर 8 फुट था। जिससे कुछ गांव प्रभावित हुए थे। वर्तमान समय में इस तालाब से माला, सिमरी खुर्द, बम्होरी, चिलोद, टपरिया, मझगुवां मानगढ़, इमलिया, रामपुरा, सगरा, रोंड, पटना और खमरिया गांव तक माला जलाशय का पानी नहरों के जरिए पहुुंचता है।
खरीफ फसल में धान की पैदावार माला मानगढ़, बम्होरी, सिमरी खुर्द, चिलोद और टपरिया मेंं धान की फसल अन्य गांव से सबसे अधिक होती है। यदि धान का औसत लगाया जाए तो एक घर में 20 क्विंटल धान निकलती है। माला में जो रेस्ट हाउस अंग्रेजों के समय बनाया गया है, उसकी ऊंचाई माला जलाशय की पार के बराबर है। इस रेस्ट हाउस के पास तालाब में कितनी बारिश हुई है। यह जानने के लिए रेस्ट हाउस के पास रेनगेज स्टेशन बनाया गया था। जिससे तालाब में हुई वर्षा का अनुमान लगाया जाता था।
ये कहते है बुजुर्ग
बुजुर्ग बताते हैं कि माला मानगढ़ के राजा गंगाधर ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से लोहा लिया था। अंग्रेज अकेले उन पर विजय नहीं पा रहे थे, इसलिए मुगलों का सहारा लेकर उन्हें गिरफ्तार कर काला पानी की सजा मुकर्रर की गई थी। इसके बाद मानगढ़ रियासत को डुबाने के लिए माला जलाशय बनाया गया, लेकिन इसका फायदा तब से लेकर अब तक आसपास के गांवों को हो रहा है, इस क्षेत्र में धान की अधिक पैदावार होने से किसान समृद्ध हैं। क्षेत्र के प्रत्येक किसान के पास दो ट्रैक्टर, वैभवता की वस्तुएं व शहरों में मकान हैं। जिस तालाब का निर्माण विद्रोह को दबाने किया गया था अब वही तालाब यहां के लोगों को वरदान बना हुआ है।