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नेवले के काटने पर नहीं लगा एंटी रैबीज, रैबीज से हुई मौत

नेवले के काटने के 23 दिन बाद बच्ची की मौत रैबीज से

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Anti rabies was not applied on the bite of mongoose, death

Anti rabies was not applied on the bite of mongoose, death

दमोह/ बनवार. बम्हौरी माला गांव की अवनी यादव (4) को नेवले ने काट लिया था। जिसकी 23 दिन बाद रैबीज की बीमारी होने से मौत हो गई। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई जिसमें मासूम को एंटी रैबीज का इंजेक्शन नहीं लगाया, जिसके बाद उसे पानी देखते ही डर लगने लगा था।
बम्हौरीमाला निवासी प्रेमलाल छोटू यादव की पुत्री को 24 जुलाई को एक नेवले ने गाल में काट लिया था। यह बच्ची घर के अंदर थी तब यह घटनाक्रम घटित हुआ। इसके बाद परिजन बच्ची को लेकर स्वास्थ्य केंद्र जबेरा गए। जहां डाक्टरों ने उसे सामान्य घटना बताते हुए जहर न फैलने की बात कही और पिता के निवेदन के बाद भी रैबीज का इंजेक्शन नहीं लगाया गया। डॉक्टरों द्वारा यही कहा गया कि नेवले के काटने से जहर नहीं फैलता। इसके बाद परिजन निश्चित होकर घर पहुंच गए। 8 अगस्त को जब बच्ची में रैबीज जैसे लक्षण दिखे, वह पानी देखते ही डरने लगी तो परिजन उसे उप स्वास्थ्य केंद्र रौंड़ ले गए वहां पर भी इसी तरह आश्वासन दिया गया। उसे वापिस घर भेज दिया। जब बच्ची का घाव ठीक नहीं हुआ और हालत बिगड़ी तो परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल दमोह पहुंचे जहां डॉक्टरों ने रैबीज होने की पुष्टि करते हुए जबलपुर रेफर कर दिया। जबलपुर में मेडिकल कॉलेज व विक्टोरिया अस्पताल में डॉक्टरों ने यही बताया कि बच्ची में रैबीज के लक्षण हैं, अब उसका कोई इलाज नहीं है। यदि समय रहते रैबीज का इंजेक्शन लग जाता तो कुछ नहीं होता। इसके बाद 15 अगस्त को मासूम अवनी की मौत हो गयी। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से अपनी बच्ची खोने वाले पिता ने एक आवेदन दमोह कलेक्टर के नाम सौंपा। साथ ही इस तरह की लापरवाही करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। इस तरह का पहला मामला जबेरा में सामने आया है जहां नेवले के काटने से किसी की मौत हुई है। मासूम बच्ची की मौत से परिवार में मातम पसरा हुआ है। वहीं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी उजागर हुई है।
जिला टीकारण अधिकारी डॉ. रेक्शन अल्वर्ट का कहना है कि नुकीली दांत वाला चूहा से लेकर बंदर या कोई भी जीव जंतु है, यदि वह काटता है तो रैबीज से सुरक्षा के लिए एंटी रैबीज का इंजेक्शन देना चाहिए। क्योंकि हमें नहीं पता रहता है कि उसे रैबीज है या नहीं। प्रदेश में कई जगह नेवला की काटने की घटनाएं सामने आई हैं, वहां एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाया गया है। जिससे रैबीज का असर नहीं हो पाया है।