
Fake Doctor Damoh
Fake Doctor Damoh: मिशन अस्पताल में दिल के 7 मरीजों की मौत के आरोपी फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव के पास कार्डियोलॉजी की डिग्री नहीं है। उसने दार्जिलिंग से डिग्री लेने की बात कही, लेकिन उसे वहां दाखिला ही नहीं मिला था। लंदन से भी कोई डिग्री नहीं ली।
यह खुलासा छत्तीसगढ़ आइएमए के पूर्व स्टेट प्रेसिडेंट डॉ. किरण एस. देवसर ने किया है। नरेंद्र 2006 में बिलासपुर अपोलो अस्पताल में था। तब भी मरीजों की मौतें हुईं तो अपोलो ने जांच टीम बनाई थी। इसमें डॉ. किरण भी थे। नरेंद्र टीम को डिग्री नहीं दे सका था। अस्पताल के सीईओ ने मेल किया तो लंदन की संस्था ने बताया, नरेंद्र ने कोई डिग्री नहीं ली।
इधर, दमोह एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया, नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री सही है। बाकी हाईस्कूल की एन. जॉन केम नाम से मार्कशीट और कोलकाता, पुद्दुचेरी की एमबीबीएस डिग्री फर्जी है। अब यूके के सेंट जॉर्जिस हॉस्पिटल, एमआरसीपी डिप्लोमा की जांच के लिए यूके, शिकागो, मिशीगन मेडिकल कॉलेज को मेल किया।
पत्रिका के मामला उठाते ही दमोह में 4 डॉक्टर और नायब तहसीलदार की टीम ने अस्पताल की कैथलैब गुरुवार को सील कर दी। स्टेट काउंसिल में बिना पंजीयन के और फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट को नौकरी पर रखने के आरोप में यह कार्रवाई की गई है। इसी लैब में नरेंद्र ने मरीजों की सर्जरी की थी। लैब का रजिस्ट्रेशन जबलपुर के डीएम कार्डियक डॉ. अखिलेश दुबे के नाम पर है। वे मौके पर नहीं मिले। डायलिसिस यूनिट बंद मिली, लेकिन इसका भी रजिस्ट्रेशन नहीं मिला।
रिमांड में आरोपी नरेंद्र ने बताया, वह कंपनी बनाना चाहता था। इसमें कई शहरों के कॉर्डियोलॉजिस्ट की टीम रखता। फिर बड़े अस्पतालों में उन्हें नियुक्त कराता। खुद बॉस रहता। उसने भी माना कि उसके पास कार्डियोलॉजी की डिग्री नहीं है। फर्जी डिग्री के सहारे वह कभी न कभी पकड़ा जाता। इस डर से कंपनी खोलने का मन बनाया। एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि उसने मेल के जरिए कंपनी खोलने के दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं।
Updated on:
11 Apr 2025 10:02 am
Published on:
11 Apr 2025 09:58 am
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