
मर्थन मूल्य पर हुई चना और मसूर की खरीदी
दमोह. वर्ष 2018 में समर्थन मूल्य पर हुई चना और मसूर की खरीदी में समितियों द्वारा करोड़ों रुपए का सरकारी अनाज गायब कर दिया गया। कलेक्टर जांच में यह बात सामने आई थी कि जिले की 27 समितियों में खरीदी का कार्य करने वाले अधिकारी कर्मचारियों द्वारा बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। जब मामला साफ हुआ तो कलेक्टर द्वारा हेराफेरी में संलिप्त पाए गए आधा सैकड़ा से अधिक कर्मचारियों के विरूद्ध एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन इस मामले में अब तक एफआइआर की कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं यह भी पता नहीं चला है कि करोड़ों रुपए की राशि से समर्थन मूल्य पर खरीदा गया चना और मसूर कहां खपा दिया गया। मामले में हैरत वाली बात यह है कि कलेक्टर जांच से सभी तथ्य उजागर होने के बाद भी जिला प्रशासन के आलाधिकारी अभी भी जांच की बात कर रहे हैं।
बता दें कि तकरीबन 14 करोड़ से अधिक के सरकारी अनाज में गड़बड़ी सामने आई थी। यह गड़बड़ी तब उजागर हुई जब खरीदी और सरकारी व निजी वेयर हाऊस में रखे गए सरकारी अनाज के मिलान में बड़ा झोल उजागर हुआ था। जब इस मामले की जांच शुरू हुई तो तकरीबन २२ हजार क्विंटल चना की हेराफेरी उजागर हुई थी। जिसमें से जिम्मेदारों द्वारा ०९ हजार क्विंटल चना खराब होना बताया गया। लेकिन यह बात भी रेकार्ड पर नहीं थी। साथ ही जो चना खराब होना बताया गया आखिर वह कहां गया इसका सबूत भी अब तक सामने नहीं आया है। जांच में यह तथ्य सामने आया था कि प्रमुख रुप से अनाज की गड़बड़ी खरीदी केंद्रों से वेयर हाऊसों तक अनाज परिवहन के दौरान की गई है। तत्कालीन कलेक्टर जे विजय कुमार ने इस मामले की गंभीरता के चलते परिवहन ठेकेदार सहित समिति में पदस्थ कर्मचारियों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के निर्देश जारी किए थे।
जिले की सभी समितियों में हुआ था खेल
किसानों से सरकारी अनाज खरीदी के लिए 27 सहकारिता समितियों को खरीदी के केंद्र बनाया गया था। प्रत्येक समिति में खरीदी कार्य प्रबंधक, सेल्समैन, ऑपरेटर, सर्वेयर सहित अन्य के द्वारा किया गया। इन सभी समितियों में खरीदी के दौरान सरकारी अनाज की रेकार्ड तोड़ हेराफेरी हुई। जिले की ऐसी एक भी समिति नहीं रही जहां पर खेल को अंजाम न दिया गया हो। इन सभी समितियों के संबंधित कर्मचारियों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने के आदेश जारी हुई थे। साथ ही परिवहन ठेकेदारों की मिलीभगत सामने आई थी जो इन समितियों में अनाज के भंडार का परिवहन कर रहे थे।
07 एफआइआर के बाद रूक गई कार्रवाई
तत्कालीन कलेक्टर की सख्ती के चलते शुरूआत में 07 एफआइआर जिले के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज कर दीं गईं थीं। जबकि 32 एफआइआर होना थी। शेष मामले में सहायक जिला पंजीयक को जांच अधिकारी बनाकर कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। लेकिन इसी बीच कलेक्टर व सहायक पंजीयक का स्थानांतरण अयंत्र स्थान हो गया और मामला शांत पड़ गया। वर्तमान में भी एफआइआर की कार्रवाई अटकी हुई है। बताया जाता है कि कुछ कर्मचारी एफआइआर से बचने के लिए कोर्ट की शरण में भी पहुंचे थे।
वर्जन
मेरी पदस्थापना के पहले यह मामला उजागर हुआ था। पूर्व में कुछ एफआइआर दर्ज करा दीं गईं थीं। शेष लोगों के विरूद्ध भी कार्रवाई होना है। चूंकि कुछ कर्मचारी इस मामले को कोर्ट तक लेकर गए, जिसके जबाव कोर्ट में प्रस्तुत कर आगामी कार्रवाई शुरु कर दी जाएगी। जिन्होंने खरीदी के दौरान गड़बड़ी की है उनके विरूद्ध आपराधिक कार्रवाई होना तय है।
राजीव डाबर, सहायक आयुक्त सहकारिता
Published on:
12 Jan 2020 04:05 am
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