
गांव के इन झोला छाप से उपचार कराना कहीं पड़ न जाये महंगा
मडिय़ादो. क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक अवैध झोला छाप डॉक्टर अपनी दुकानें सजाए बैठें है। तो वहीं मडिय़ादो में पेथोलाजी लेब संचालित हो रहे हैं। जो मन मर्जी से मरीजों का स्वास्थ परिक्षण कर रिपोर्ट सौंप रहे हंै। इसके चलते मरीजों को फायदा के स्थान पर नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मामला बेलखेड़ी निवासी कौशल्या कुशवाहा का है। बीमार होने पर महिला द्वारा 25 जून को मडिय़ादो के एक प्राइवेट पेथोलाजी लैब में ब्लड चेक कराया गया। जिसमें बीमार महिला का विडाल और एमपी टेस्ट हुआ। दोनों रिर्पोट निगेटिव आई। एसडी कार्ड में भी मलेरिया निगेटिव था स्लाइट में भी मलेरिया नाट सीन बताया गया। जांच रिपोर्ट के बाद एक प्राइवेट डॉक्टर ने मरीज का इलाज किया तो मरीज को कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद जब दूसरे दिन यानी 26 जून को अन्य पेथोलाजी लैब में मलेरिया व टाइफाइड (विडाल ) टेस्ट कराया तो दोनों रिपोर्ट पॉजीटिव बताई गईं।
गौरतलब है ऐसे में मरीज की क्या स्थिति होगी जब एक दिन पहले मरीज को एक पैथोलाजी में ब्लड परीक्षण में रिपोर्ट निगेटिव व उसी मरीज का दूसरे दिन वही टेस्ट पॉजीटिव निकलता है। अब इस स्थिति में डॉक्टर किस रिपोर्ट को सही मान कर इलाज करे यह भी एक विडंवना है।
मजबूरी में करा रहे जांच
गौरतलब है कि स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लगभग पांच वर्ष से लैब टेक्निशियन का पद खाली है। जिसके चलते मरीजों को अस्पताल में जाने के बाद ब्लड, यूरिन, बलगम सहित विभिन्न जांचें कराने निजी पैथोलाजी पर जाना पड़ता है। लेकिन जब इस प्रकार से जांचे सामने आती हैं तो निश्चित तय है कि मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
Published on:
30 Jun 2019 03:39 pm
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