आवारा मवेशियों की अनदेखी स्थानीय लोगों और जानकारों की मानें, तो जिले में सड़क हादसों की बड़ी वजह सड़कों पर घूमते आवारा मवेशी हैं। इसके बावजूद निरीक्षण के दौरान इस गंभीर समस्या को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। न ही भोपाल से आई टीम और न ही स्थानीय प्रशासन ने इस दिशा में कोई सार्थक पहल की।
जबकि शहर और ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर मवेशियों का डेरा बना हुआ है। इससे रोजाना वाहन चालकों को जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि जब तक इस समस्या को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक सड़क सुरक्षा के सारे प्रयास अधूरे ही रहेंगे।बता दें कि प्रशासन के अनुसार मैनिट टीम ने अभी प्रारंभिक समस्याओं की पहचान की है। टीम अगले सप्ताह फिर आएगी और विस्तृत अध्ययन के बाद 1 से डेढ़ महीने में सुझाव देगी। इसके आधार पर बाद में संबंधित एजेंसियां कार्रवाई करेंगी।
वर्जनटीम ने तकनीकी पहलुओं पर ध्यान दिया, लेकिन आवारा मवेशियों की अनदेखी ने सर्वे की गंभीरता पर सवाल खड़े किए हैं। सचिन यादव हादसों के मामलों में जब तक मवेशियों जैसी जमीनी समस्याओं को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, समाधान अधूरे रहेंगे।
राहुल राय शहर की सड़कों से लेकर सभी हाइवे आवारा मवेशियों की जद में हैं। जो भी हादसे हो रहे हैं, इनमें आधे से अधिक हादसों को आवारा मवेशियों की वजह से अंजाम मिल रहा है।सद्दाम खानकलेक्टर ने आवारा मवेशियों को गोशालाओं तक भेजने के निर्देश दिए थे। अब तक इस आदेश को एक साल से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन, जिनकी यह जिम्मेदारी थी उन्होंने कलेक्टर के आदेश को नहीं माना है।
अमित पटैल पत्रिका व्यू जहां एक ओर सड़क सुरक्षा के लिए योजना और निरीक्षण चल रहे हैं, वहीं व्यवहारिक समस्याओं की अनदेखी ने इन प्रयासों को कागजी कार्रवाई बनाकर रख दिया है। यदि प्रशासन और सर्वे टीम ने समय रहते मूल कारणों पर ध्यान नहीं दिया, तो सड़क हादसों का सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा।