
Rain Gauge Bad Estimation from the test tube
श्रीकांत मिश्रा . पटेरा. तहसील पटेरा में वर्षामापी यंत्र पिछले पांच साल से खराब है, इन दो सालों में हुई बारिश के रिकार्ड मनगढ़ंत जिला मुख्यालय भेजे जाते रहे हैं, जिससे यह पोल खुल गई कि यहां पिछले पांच साल से किसानों को परखनली में एकत्रित बूंदों के अनुसार ही वर्षा के आंकड़े दिए जा रहे हैं।
दरअसल तहसील मुख्यालय पर शासन व कृषि विभाग द्वारा खरीफ सीजन व रबी सीजन की बोवनी-बखरनी के लिए बारिश के पानी मापने के लिए वर्षामापी यंत्र लगाए गए हैं। हालांकि यह वर्षामापी यंत्र वैज्ञानिक प्रासंगिकता के अनुसार सटीक नहीं हैं, क्योंकि यदि पटेरा तहसील कार्यालय में एक बूंद पानी नहीं गिरा और दो किमी दूर कुंडलपुर में भारी बारिश हुई हो, लेकिन पटेरा वर्षामापी केंद्र पर शून्य बारिश रिकार्ड की जाएगी। जिससे पूरे तहसील स्तर पर वर्षा मापने का कोई भी यंत्र अभी तक मौजूद नहीं है।
अब अनुमान व परखनली ही सहारा
पटेरा तहसील कार्यालय में वर्षा मापी यंत्र रेनगेज करीब पांच साल से खराब पड़ा है। इस दौरान तहसील कार्यालय की छत पर एक परखनली रख दी जाती है। इस परखनली में जितना पानी एकत्रित हो जाता है, उतने मिमी बारिश पटेरा में दर्ज होना बता दी जाती है। अब यदि तहसील कार्यालय के कर्मचारी छत पर परखनली रखना भूल गए तो शाम को अनुमान के अनुसार बारिश का रिकार्ड बता दिया जाता है।
बारिश के आधार पर ही मिलता है मुआवजा
दरअसल पिछले सालों में पटेरा क्षेत्र में अल्प बारिश जिला कार्यालय में दर्ज कराई जाती रही है। जबकि पिछले सालों में पटेरा में सामान्य या उससे अधिक बारिश दर्ज की गई थी। इन्ही बारिश के आंकड़ों के आधार पर ही कृषि विभाग द्वारा किसानों को कृषि कार्य की सलाह प्रसारित की जाती है, साथ ही परिपत्र 6.4 द्वारा अल्पवर्षा से हुई फसल हानि का बीमा व मुआवजा निर्धारित होता है। इस महत्वपूर्ण बिंदु पर पिछले पांच सालों में घोर लापरवाही बरती जाती रही है।
भृत्य जुटाता है आंकड़े
रेनगेज व वर्षामापी यंत्र से बारिश मापने की जिम्मेदारी तहसीलदारों की है, लेकिन जिले की किसी भी तहसील कार्यालय में इसकी जिम्मेदारी तहसीलदार या नायब तहसीलदार नहीं संभाल रहे हैं। पटेरा में ही भृत्य हरप्रसाद को वर्षा मापने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे पहले लिपिक नरेंद्र कुमार सोनी इस जिम्मेदारी का निर्वहन करते थे। लिपिक सोनी ने बताया कि रेनगेज वर्षामापी यंत्र पिछले पांच साल से खराब है। वर्षा परखनली के माध्यम से मापी जाती है और उसी आधार पर बारिश के आंकड़े दिए जाते हैं।
Published on:
29 Jun 2018 11:52 am
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