राजस्व अमले और नगरपालिका द्वारा समय-समय पर चलाए जाने वाले अतिक्रमण विरोधी अभियान केवल दिखावे बनते जा रहे हैं। जिनका जमीनी असर दिखाई नहीं देता। मुख्य बाजार, बस स्टैंड, अस्पताल चौराहा सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में हाल ही में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी। लेकिन अब उन्हीं स्थानों पर फिर से ठेले, गुमटियां और दुकानों का अवैध विस्तार देखा जा रहा है। व्यापारी और ठेलेवाले प्रशासन की अनदेखी का लाभ उठाकर सार्वजनिक स्थानों पर फिर से कब्जा कर रहे हैं। जिससे राहगीरों और वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय राकेश कुमार, प्रदीप सेन, राजा ठाकुर, विनय मिश्रा ने आरोप लगाया कि प्रशासन केवल दिखावे की कार्रवाई कर रहा है। स्थाई समाधान के अभाव में अतिक्रमण हटाओ अभियान कागजों तक ही सीमित रह गया है। यदि प्रशासन सख्ती और सतत निगरानी रखे तो शहर को अतिक्रमण से मुक्त किया जा सकता है, वरना यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।
एक साल में कब और कहां हुई कार्रवाई… 1. मई 2024: राजस्व विभाग और नपा प्रशासन ने शहर में अभियान चलाया। चौराहों, मुख्य सड़कों और फुटपाथ से कब्जे हटाए थे। 2. दिसंबर 2024: पुरैना तालाब किनारे कब्जे कर बनाए गए अवैध निर्माण जिला प्रशासन हटाए थे। हालांकि इसका विरोध भी हुआ था।
3. दिसंबर 2024: दिसंबर में ही प्रशासन ने सागर नाका बायपास के नजदीक न्यू रेलवे ओवर ब्रिज से सटकर किए गए कब्जों को हटाया था। यहां 20 से ज्यादा अवैध दुकानें थी। 4. सुभाष कॉलोनी: सिविल वार्ड 6 की इस कॉलोनी में करीब 40 फुट चौड़ा नाला है। जिसके कब्जे पिछले महीने ही हटाए गए।
अब क्या है इन इलाकों की स्थिति जहां अतिक्रमण हटाए गए थे, उनमें कहीं ठेले, फड़ और दुकानें लग रही हैं, तो कहीं फिर से पक्के निर्माण हो चुके हैं। घंटाघर क्षेत्र में फुटपाथ गायब हैं। यहां पैदल निकलना भी मुश्किल है। बस स्टैंड क्षेत्र में भी कब्जा हो चुका है। सुभाष कॉलोनी का नाला चंद फुट ही दिख रहा। प्रशासन की कार्रवाई हर जगह बेअसर साबित हो रही है।
इधर, सड़कों पर जस के तस हालात शहर की प्रमुख सड़कों पर यातायात बाधित है। अतिक्रमण के कारण पैदल चलना मुश्किल हो गया है। राहगीर, बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशान हैं। ट्रैफिक जाम आम बात हो गई है। अतिक्रमणकारियों की लापरवाही से हालात जस के तस बने हुए हैं।