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व्यारमा नदी पर बने तीसरे रेलवे पुल के पाए में जैकेटिंग की नौबत आई

रेलवे की तीसरी लाइन परियोजना को लेकर कटनी दमोह रेल सेक्शन इन दिनों चर्चा में है।

दमोहJun 10, 2025 / 06:38 pm

pushpendra tiwari

दमोह /बनवार. रेलवे की तीसरी लाइन परियोजना को लेकर कटनी दमोह रेल सेक्शन इन दिनों चर्चा में है। बनवार घटेरा क्षेत्र में व्यारमा नदी पर बन रहे तीसरे रेलवे पुल की तकनीकी खामियों और निर्माण में बरती गई लापरवाही को लेकर सवालों का अंबार खड़ा हो गया है। पुल के पाए में मजबूती लाने के लिए अब जेकेटिंग कराई जा रही है, जो यह साफ दर्शाता है कि निर्माण के दौरान गंभीर चूक हुई है।
क्या है मामलाघटेरा स्टेशन के पास व्यारमा नदी पर अप व डाउन लाइन के दो पुराने पुल पहले से मौजूद हैं। अब तीसरी रेलवे लाइन के लिए नदी पर तीसरा पुल बनाया जा रहा है, जिसकी ऊंचाई पुराने पुलों से करीब 5 फीट ज्यादा रखी गई। वर्ष 2005 में आए बाढ़ के अनुभव को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया गया था। लेकिन हाल ही में तैयार किए गए तीसरे पुल के पाए में गंभीर खामियां उजागर हुई हैं।मजबूरी में कराई जा रही है जैकेटिंग
तीसरे पुल के पाए पर रखे गए ओपन वेब गर्डर सही तरीके से नहीं बैठे। मजबूरी में अब पिलकौन कंपनी, नागपुर द्वारा पाए की मजबूती और चौड़ाई बढ़ाने के लिए नीचे से लोहे की सरिया का जाल बनाकर, मसाले की मोटी परत के साथ जेकेटिंग का कार्य कराया जा रहा है। लेकिन, यह सवाल अब सबसे बड़ा बन गया है कि वीआरएस निर्माण कंपनी ने पाए बनाए और किसी अन्य एजेंसी ने ओपन वेब गर्डर रखे। वहीं रेलवे एक्सीऐनस कंस्ट्रक्शन विभाग के अधिकारियों ने निगरानी की।
तीनों स्तर पर समन्वय की कमी और गुणवत्ता नियंत्रण के अभाव से यह स्थिति बनी।इधर, रेलवे एक्सीऐनस कंस्ट्रक्शन विभाग भोपाल के वरिष्ठ इंजीनियर नारायण सिंह बुंदेला ने जेकेटिंग को सामान्य प्रक्रिया बताते हुए कहा कि तीसरे रेलवे पुल के पाए में जेकेटिंग होने से मजबूती आएगी। जैकेटिंग के हालात क्यों बने और कौन जिम्मेदार है, इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।यह दुष्परिणाम आए सामने
– यदि निर्माण सही होता, तो अब तक तीसरे पुल से मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों का संचालन शुरू हो चुका होता।- निर्माण में देरी से न सिर्फ परियोजना अटकी है, बल्कि रेलवे को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।
– जब पहली बार में ही पुल का निर्माण मजबूत नहीं हुआ, तो मल्टी-स्टेज सुधार कार्यों का खर्च कौन उठाएगा।पत्रिका व्यू

व्यारमा नदी पर तीसरे पुल के निर्माण में जो लापरवाही उजागर हुई है, उसने न सिर्फ परियोजना की गति को रोका है, बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली और निर्माण एजेंसियों की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। रेलवे को चाहिए कि मामले की जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई न जाए।

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