दमोह. जिले के ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में बरसात का मौसम भले ही दस्तक दे चुका हो, लेकिन साफ पीने के पानी की समस्या से अब भी दर्जनों गांव जूझ रहे हैं। गांवों में जलापूर्ति व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है, जिसके चलते ग्रामीण नदी, नालों व कुओं का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। यही नहीं, कई गांवों में हैंडपंप या तो खराब हैं या उनका पानी पीने लायक नहीं है।
हर साल बरसात में बढ़ती हैं बीमारियां
जिले के पथरिया, तेंदूखेड़ा, हटा, जबेरा, मडि़यादो उपतहसील क्षेत्र के गांव, दमोतीपुरा, दलपतपुरा सहित सभी ब्लॉकों के कई गांवों में हर साल बारिश के साथ डायरिया, हैजा, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। गांवों में मौजूद पुराने जल स्रोतों की सफाई नहीं की गई है, जिससे बारिश का पानी इनमें गंदगी और कीचड़ के साथ मिलकर पानी को दूषित कर रहा है।
जेरठ में सल्फरयुक्त पानीपथरिया ब्लॉक के जेरठ गांव में हैंडपंप के पानी में मानक से अधिक सल्फर पाया गया है। जांच में यह पानी पीने योग्य नहीं निकला, लेकिन ग्रामीण मजबूरी में यही पानी इस्तेमाल कर रहे हैं। इधर, यहां की समस्या को लेकर प्रशासन ने अब तक कोई समाधान नहीं किया है।
पिछले साल दूषित जल से बीमार हुए थे सैकड़ों ग्रामीण
गुबरा (जनवरी 2024): हैंडपंप में कीटनाशक मिला, कई ग्रामीण बीमार हुए थे।
बांसनी (जुलाई 2024): हैंडपंप का पानी दूषित होने से दर्जनों ग्रामीण बीमार पड़े ोथे।
हरदुआजामसा (जुलाई 2024): दूषित जल से करीब 200 लोग डायरिया और अन्य बीमारियों के शिकार हुए।
बगदारी (अगस्त 2024): उल्टी-दस्त की शिकायतें सामने आईं, दूषित जल सेवन कारण रहा था।
Updated on:
24 Jun 2025 10:54 am
Published on:
24 Jun 2025 10:53 am