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दो दर्जन बाघ व जैव विविधता से भरपूर वीडीटीआर नहीं कर पा रहा वाइल्ड लाइफ शौकीनों को आकृषित

तीन जिलों में फैला वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व आगामी 1 जुलाई से मानसून सत्र के चलते साढ़े तीन महीने के लिए पर्यटकों के लिए बंद किया जा रहा है।

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दमोह. तीन जिलों में फैला वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व आगामी 1 जुलाई से मानसून सत्र के चलते साढ़े तीन महीने के लिए पर्यटकों के लिए बंद किया जा रहा है। यह रिजर्व देश के क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में शामिल है, लेकिन इसके बावजूद यह देश के प्रमुख पर्यटन मानचित्र पर अपनी खास पहचान नहीं बना सका है।रिजर्व प्रबंधन के अनुसार हर वर्ष मानसून के दौरान 1 जुलाई से 15 अक्टूबर तक रिजर्व को बंद किया जाता है। इस अवधि में बाघों और अन्य वन्य जीवों के प्रजनन और प्राकृतिक आवागमन की दृष्टि से जंगल को विश्राम देना जरूरी होता है।

इस बार बढ़े सैलानी, लेकिन अनुमान से कम

वर्ष 2024-25 में अक्टूबर से मई के बीच वीडीटीआर में कुल 1610 पर्यटक पहुंचे, जबकि पिछले सीजन में यह संख्या लगभग 1200 थी। हालांकि, इस बार अनुमान था कि यह आंकड़ा 2000 से अधिक पहुंचेगा, लेकिन वह पूरी नहीं हो सका। इसके पीछे प्रचार-प्रसार की कमी, कमजोर अधोसंरचना और गाइडलाइन की अस्पष्टता को मुख्य कारण माना जा रहा है।

अनूठी जैव विविधता और विशाल क्षेत्रफल

वीडीटीआर कुल 2339 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है, जिसमें 925 वर्ग किमी कोर एरिया और 1414 वर्ग किमी बफर एरिया शामिल है। यहां 24 बाघों के साथ तेंदुए, चौसिंगा, भालू, गिद्ध और 250 से अधिक प्रजातियों के जीव-जंतु पाए जाते हैं। साथ ही 135 से अधिक वनस्पति प्रजातियों की उपस्थिति इस रिजर्व को जैव विविधता के दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध बनाती है।

बता दें कि पर्यटकों के लिए वीडीटीआर में बीना, हिनौती और सिंगौरगढ़ तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं। वर्तमान में 8 जिप्सी सफारी वाहन उपलब्ध हैं। कुछ रिसॉर्ट और होटल भी आसपास के क्षेत्रों में संचालित हो रहे हैं। टाइगर रिजर्व प्रशासन के अनुसार गाइड व्यवस्था और पर्यटक सुविधाओं में बीते सीजन के दौरान सुधार किए गए हैं।पर्यटकों का फीडबैक

कुछ पर्यटकों का मानना है कि वीडीटीआर में बाघों और जंगल का विस्तार तो भरपूर है, लेकिन वह रोमांच और अनुभव नहीं मिल पाता, जो बांधवगढ़ या कान्हा जैसे टाइगर रिजर्व में मिलता है। इसको लेकर टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने अगली बार के लिए नई रणनीति बनाने और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के संकेत दिए हैं।

वर्जनमई तक 1610 पर्यटक पहुंचे हैं। गाइड और सुविधाएं पहले से बेहतर हुई हैं। अगले सीजन में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई योजना तैयार की जाएगी।डॉ. एए. अंसारी, डिप्टी डायरेक्टर, वीडीटीआरपत्रिका व्यू

वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में जैव विविधता और विशाल क्षेत्र होने के बावजूद वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान बनाने से अभी भी पीछे है। यदि भविष्य में अधोसंरचना, प्रचार-प्रसार और रोमांचकारी अनुभवों पर विशेष ध्यान दिया जाए, तो यह टाइगर रिजर्व भी मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में शुमार हो सकता है।