CG News: छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान प्राप्त
जहां एक समय स्कूल जाना खतरे से खाली नहीं था, वहीं आज इसी जिले के गांवों से बोर्ड परीक्षा के टॉपर्स निकल रहे हैं। दशकों की चुनौतियों, माओवादी हिंसा और संसाधनों की कमी के बीच शिक्षा के क्षेत्र में यह परिवर्तन किसी क्रांति से कम नहीं है। इस परिवर्तन की नींव ’’पढ़े दंतेवाड़ा, लिखे दंतेवाड़ा’’ नामक अभिनव शैक्षणिक अभियान ने रखी, जिसकी शुरुआत अगस्त 2023 में जिले के सभी सरकारी उच्च व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में की गई। इसके तहत कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए नियमित टेस्ट, प्री-बोर्ड, मॉक परीक्षाएं और मूल्यांकन की ठोस व्यवस्था लागू की गई। प्रश्नपत्र शिक्षक पीयर लर्निंग सर्कल के माध्यम से तैयार किए गए, जिससे गुणवत्ता और मानकीकरण सुनिश्चित हुआ। उत्तर पुस्तिकाओं की निष्पक्ष जांच के लिए इंटर-स्कूल मूल्यांकन प्रणाली अपनाई गई, जिससे छात्रों को निष्पक्ष अंक मिले और शिक्षकों को एक-दूसरे से सीखने का अवसर भी मिला।
इन प्रयासों का परिणाम तब सामने आया जब 2024 की 10वीं बोर्ड परीक्षा में दंतेवाड़ा ने 94.45 प्रतिशत के उत्तीर्ण प्रतिशत के साथ पूरे छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वहीं, 12वीं में जिले की रैंकिंग 11वें से 6ठें स्थान पर पहुंची और 87.66 प्रतिशत छात्र सफल रहे। ये आंकड़े एक बदलाव की कहानी कह रहे हैं— बंदूक की जगह कलम थामने की।
प्रधानमंत्री का उल्लेख बना प्रेरणा का स्रोत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ’मन की बात’ में दंतेवाड़ा की इस उपलब्धि को उजागर करना, न केवल जिले के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह साबित करता है कि जब प्रशासन, शिक्षक, समुदाय और छात्र एकजुट होकर प्रयास करते हैं, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। दंतेवाड़ा की यह सफलता केवल परीक्षा में अच्छे अंक लाने की नहीं, बल्कि एक सोच, एक दृष्टिकोण और एक सामाजिक बदलाव की कहानी है। यह उस नवजागरण का प्रतीक है, जो बताता है कि अब यह जिला पहचान बदल रहा है— नक्सल नहीं, शिक्षा के लिए।
स्थानीय समाधान से सशक्त शिक्षा व्यवस्था
CG News: शिक्षक की कमी को दूर करने के लिए शिक्षा समर्थन योजना के तहत स्थानीय स्नातकों को अतिथि शिक्षक के रूप में जोड़ा गया। स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस लाने के लिए ’’बाला मित्र’’ अभियान चलाया गया। सुरक्षा की दृष्टि से पोटा केबिन स्कूलों को 12वीं तक विस्तारित किया गया और उन्हें आवासीय केंद्रों से जोड़ा गया, जिससे 70% से अधिक छात्र अब सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई कर रहे हैं।
करियर मार्गदर्शन पर विशेष फोकस
बोर्ड परीक्षा की तैयारी के दौरान छात्रों में आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए समय प्रबंधन, उत्तर लेखन कौशल और रणनीति पर कार्यशालाएं आयोजित की गईं। स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से प्रेरणात्मक सत्र और काउंसलिंग गतिविधियां भी संचालित की गईं। प्रत्येक विद्यालय में करियर मेंटर शिक्षक नियुक्त किए गए, जिन्होंने नियमित रूप से विद्यार्थियों को भविष्य की दिशा दिखाई।