
नक्सलियों का मुकाबला करने Chhattisgarh के जवान सीख रहे आदिवासियों की स्थानीय भाषा ‘गोंड़ी’
दंतेवाड़ा. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा जिले के पुलिसकर्मी और जवान वहां के स्थानीय लोगों से बातचीत करने के लिए बस्तर (Bastar) की स्थानीय भाषा (local language) ‘गोंड़ी’ बोलना सीख रहे हैं। माना जा रहा है कि स्थानीय लोगों के साथ अपने संबंध अच्छे करने और नक्सली खतरे (Naxal attack) से लडऩे तथा नक्सलियों के खुफिया सूचनाओं (Intelligence information) को बेहतर तरीके से जानने के लिए यह भाषा बहुत महत्वपूर्ण है।
‘गोंड़ी’ सीखने के लिए जवानों और पुलिसकर्मियों की कक्षाएं सोमवार से शुरू हो चुकी हैं। यहां पहले बैच में 50 जवानों ने दाखिला लिया है। पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया कि स्थानीय पुलिस कर्मी जो इस भाषा में पूरी तरह निपुर्ण हैं, उन्हे शिक्षकों के रूप में कक्षा में नियुक्त किया गया है।
एसपी ने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले कई पुलिसकर्मी है जिन्हे यहां बोली जाने वाली स्थानीय भाषा ‘गोंड़ी’ नहीं आती। जिसके कारण कई बार यहां संचार में परेशानी होती है। इसलिए हमने यह पहल की है जिससे यहां तैनात सभी जवानों को यह भाषा समझ में आए।
सीखेंगे।
यहां की स्थानीय भाषा की कम समझ यहां पर नक्सल विरोधी अभियानों (Anti-naxal operations) में बाधा डालती है। इसलिए यह भाषा सीखना (Gondi language) यहां के जवानों को स्थानीय आदिवासियों के साथ जुडऩे में मदद करेगी। इसके साथ ही इस भाषा के ज्ञान से पुलिस को पूछताछ और जांच प्रक्रिया में भी मदद मिलेगी और नक्सलियों की वायरलेस और मोबाइल बातचीत को समझने में भी आसानी होगी।
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Published on:
19 Jun 2019 01:41 pm
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