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जय हो…. दंतेवाड़ा के तीन शिक्षकों ने एवरेस्ट बेस कैंप में फहराया तिरंगा

Jagdalpur News Update : जिले से यह कठिन व साहसिक उपलब्धि हासिल करने वाली यह पहली टीम है।

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जय हो.... दंतेवाड़ा के तीन शिक्षकों ने एवरेस्ट बेस कैंप में फहराया तिरंगा

जय हो.... दंतेवाड़ा के तीन शिक्षकों ने एवरेस्ट बेस कैंप में फहराया तिरंगा

Jagdalpur News Update: हिमालय पर्वत श्रृंखला में दुनिया की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट के बेस कैंप तक की सफलता पूर्वक ट्रैकिंग कर दंतेवाड़ा जिले के 3 उत्साही शिक्षक कमल किशोर रावत, देवेंद्र सोनी व सुजीत सिंह चौहान लौट आए हैं। (cg news update) जिले से यह कठिन व साहसिक उपलब्धि हासिल करने वाली यह पहली टीम है। एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है, यहीं 5,364 मीटर यानि 17,598 फीट पर स्थित है। ईबीसी यानि एवरेस्ट बेस कैंप जिस तक लगभग 130 किमी लम्बी चढ़ाई और कठिन पैदल ट्रेक के माध्यम से पहुंचा जाता है।(cg news today) ईबीसी वही जगह है, जहाँ तक पहुंच कर पर्वतारोही आगे एवरेस्ट समिट की चढ़ाई प्रारम्भ करते हैं। आपको बता दें कि 1 जून 2021 को छत्तीसगढ़ की पहली महिला पर्वतारोही के रूप में बस्तर की युवा नैना सिंह धाकड़ एवरेस्ट समिट शिखर पर फ़तह हासिल कर चुकी हैं।

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12 दिनों लगे पहुंचने में

बस्तर संभाग से पहली बार दंतेवाड़ा के तीन उत्साही युवा शिक्षक कमल किशोर रावत, देवेंद्र सोनी तथा सुजीत सिंह चौहान ने हाल ही में एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक की इस उपलब्धि को कठिन चढ़ाई, शून्य से लगभग 16 डिग्री कम तापमान, (jagdalpur news today) अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीज़न की कमी से होने वाले प्रभावों को झेलते हुए 12 दिनों में पूरा कर 16 मई को एवरेस्ट बेस कैंप नेपाल में तिरंगा लहराया। जिसके लिए नैना सिंह धाकड़ ने उन्हें फोन व व्हाट्सअप पर बधाई दी।

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साझा किया अनुभव

पिछले दो वर्षों से ईबीसी ट्रेक की तैयारी करते हुए और आख़िरकार इस कठिनतम ट्रेकिंग को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद शिक्षक कमल किशोर , देवेंद्र व सुजीत ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि माउंट एवरेस्ट को किताबों में पढ़ने , फोटो या वीडियो में देखने की तुलना में यहाँ तक पहुंच कर महसूस करना अद्भुत और रोमांचित करने वाला अनुभव है। यह हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा भव्य और विशाल है। (Jagdalpur News in hindi) दुनिया के सबसे खतरनाक माने जाने वाले तेनज़िंग हिलेरी, लुकला एयरपोर्ट पर लैंड करने से शुरू ये रोमांच बेस कैंप के चरम तक पहुँचता है। पथरीली फिसलन भरी चढ़ाई, हड्डियों को जमा देने वाली ठण्ड और अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी, पूरे ट्रेक में ऐसी बहुत सी चुनौतियां आपकी कठिन परीक्षा लेती हैं।

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ट्रेकिंग के दौरान बहुत बार मनोबल टूट जाता है किन्तु आपकी दृढ इच्छा शक्ति आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। (Jagdalpur Breaking News) प्रतिकूल मौसम और पहाड़ी उतार चढाव यहाँ बसने वाले लोगों की जीवन शैली का हिस्सा हैं, यहाँ के शेरपा पीठ पर 100 किलो वजन लादकर तथा याक और घोड़ों की मदद से रसद और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं को बस्तियों तक पहुंचाते हैं।


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