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इस डिग्री के बिना ही दे दी नौकरी, अब भर्ती पर उठ रहे सवाल, जानिए क्या है मामला

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट ने पदस्थ महिला के चयन को गलत बताया, महिला ने अपने पक्ष में आदिवासी आयुक्त को सौंपी निविदा की कॉपी व शासन का सर्कुलर।

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इस डिग्री के बिना ही दे दी नौकरी

इस डिग्री के बिना ही दे दी नौकरी

दंतेवाड़ा . एकलव्य कन्या परिसर जैसा विशिष्ट स्कूल तीन साल से सुर्खियों मेंं बना हुआ है। कटेकल्याण में संचालित स्कूल को 2015 मेंं दहशत की वजह से जावंगा एजुकेशन सिटी में शिफ्ट करना पड़ा था। अब इस स्कूल में पदस्थ नर्स के मामले को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। चयन समिति ने जिन दस्तावेजों के आधार पर नौकरी दी, वह स्टॉफ नर्स के दस्तावेज नहीं है। अनीता मोरला के दस्तावेजों की जांच पूरी हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट प्रशासन तक पहुंच गई है। एकलव्य आवासीय विद्यालय में निकाली गई पोस्ट के लिए शिक्षा में बीएससी नर्सिंग मांगी गई थी।

अब नौकरी खतरे में पड़ गई है
इसके साथ ही शासन से जारी सुर्कुलर में कहा गया, यदि ऐसा नहीं है तो तीन साल का डिप्लोमा या फिर समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण हो। अनीता मोरला के मुताबिक शासन की इस मांग को पूरा किया गया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एएनएम को समकक्ष नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि नर्सिंग या जीएनएम होना चाहिए। समकक्ष इन कोर्स को ही कहा जाता है। यह भर्ती गलत तरीके से हुई है। इस रिपार्ट के आने के बाद अनीता की नौकरी खतरे में पड़ गई है। चयन समति पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिरकार जब इस पोस्ट के लिए अनीता मोरला के दस्तावेज पूरे नहीं थे तो भर्ती क्यों की गई। नर्सिंग डिप्लोमा लिखा या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण का हवाला दिया, लेकिन निविदा में स्पष्ट नहीं किया कौन सी डिपलोमा नौकरी के लिए चाहिए।

इस रिपोर्ट के मुताबिक भर्ती सही नहीं
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट आदिवासी आयुक्त डॉ. आनंद जी सिंह के पास पहुंच चुकी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भर्ती सही नहीं है। इधर आदिवासी आयुक्त ने अनीता मोरला को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एक माह के अंदर जबाब मांगा है। यदि जबाब सही नहीं मिलता है तो बर्खास्तगी की कार्रवाई हो सकती है। अनीता मोरला का कहना है कि नर्सिंग डिप्लोमा या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण का निविदा में जिक्र था। इस आधार पर आवेदन किया। जीएनएम हेमलता मिश्रा का चयन हुआ। उनके छोड़ देने के बाद नौकरी मिली। इसमें मेरी गलती नहीं है। अब मझे आयोग्य कहा जा रहा है।