दरभंगा। इंदौर पटना एक्सप्रेस दुर्घटना की जांच में सफलता पाते हुए पूर्वी चंपारण में पुलिस ने तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया है। घोड़ासहन में 01 अक्तूबर 2016 को रेलवे ट्रैक से बरामद आईईडी के मामले में मोती पासवान, मुकेश व उमाशंकर पटेल को आदापुर से गिरफ्तार किया गया है।
जानकारी के अनुसार कानपुर के पास पुखरायां में 20 नवंबर को इंदौर पटना एक्सप्रेस दुर्घटना एक आतंकी संगठन आईएसआई की साजिश थी। भारत-नेपाल सीमा पर गिरफ्तार मोती पासवान ने पूछताछ में यह खुलासा किया है बम विस्फोट से ट्रेन हादसा हुआ। मोतिहारी एसपी जितेन्द्र राणा ने मंगलवार को बताया कि कानपुर ट्रेन हादसे में मोती सक्रिय रूप से शामिल था।
मामले में मोतीहारी एसपी जीतेंद्र राणा ने कहा कि तीनों को गिरफ्तार कर हिरासत में ले लिया है। जांच करते हुए तीनों से अन्य मामलों में भी पूछताछ की जाएगी। इन तीनों ही आरोपियों के तार नेपाल और दुबई से भी जुड़े हो सकते हैं। इस मामले की गहनता से जांच की जा रही है।
एसपी ने बताया कि घोड़ासहन में 01 अक्तूबर 2016 को रेलवे ट्रैक से बरामद आईईडी के मामले में मोती पासवान, मुकेश शर्मा व उमाशंकर पटेल को आदापुर से गिरफ्तार किया गया है। मोती ने खुलासा किया है कि बम प्लांट का नेतृत्व दुबई में बैठे शमशुल ने किया था। नेपाल के बृजकिशोर गिरि को 20 लाख रुपये देकर घोड़ासहन में बम प्लांट की जिम्मेवारी दी गई थी। घोड़सहन में असफल होने पर मोती को कानपुर में बम प्लांट करने के लिए ले जाया गया। इसके लिए उसे दो लाख रुपये मिले थे।
ये है मोती पासवान की सच्चाई मोती पासवान पूर्व चंपारण के आदापुर थाना के बखरी गांव का रहने वाला है। अरुण राम और दीपक राम भी इसी गांव के रहने वाले थे। बखरी गांव भारत-नेपाल बॉर्डर पर नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ गांव है। मोती पासवान के खिलाफ पूर्वी चंपारण, शिवहर और सीतामाढ़ी में 14 के करीब लूट और हत्या के मामले दर्ज हैं।
हादसे में 153 लोगों की हुई थी मौत गौरतलब हो कि 20 नंवबर को कानपुर से 57 किलोमीटर दूर पुखरायां में सुबह 3 बजे इंदौर-पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। इसमें 153 लोगों की मौत हुई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल थे। हादसे में एस-1, 2, 3 और 4 नंबर बोगी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुई थी, जबकि 14 डिब्बे बेपटरी हो गए थे।
एसपी ने बताया कि कानपुर हादसे के मामले में दिल्ली में गिरफ्तार जियाउर और जुबैर की तस्वीर देख मोती ने पहचान की है। उसने बताया कि वह दोनों उसके साथ कानपुर में बम प्लांट में शामिल थे। मोती ने कहा कि वह कानपुर में सफल होने के बाद इंदौर और उसके बाद दिल्ली गया। दिल्ली के बाद वह नेपाल में भी कुछ दिनों तक छिपकर रहा।