
Ratangarh Mata temple: आस्था और भक्ति के बीच मंगलवार को एक दर्दनाक हादसा घटित हुआ, जिसने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। झांसी के मोंठ थाना अंतर्गत ग्राम छपार निवासी धर्मेंद्र झा अपने इकलौते बेटे दिव्यांश झा के साथ मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित रतनगढ़ वाली माता मंदिर पर मन्नत पूरी करने पहुंचे थे, लेकिन सिंध नदी में डूबने से नौ वर्षीय दिव्यांश की मौत हो गई।
करीब 12 वर्ष पहले धर्मेंद्र झा ने रतनगढ़ वाली माता से मन्नत मांगी थी कि यदि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, तो वे हर साल माता के चरणों में जवारे विसर्जित करने आएंगे। मन्नत मांगने के दो साल बाद ही उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तब से वे नियमित रूप से हर वर्ष रतनगढ़ आते और धूमधाम से जवारे विसर्जित करते थे। इस वर्ष भी वे अपने पूरे परिवार और रिश्तेदारों के साथ लगभग पचास लोगों की टोली लेकर रतनगढ़ माता के दर्शन और जवारे विसर्जन के लिए आए थे।
मंगलवार सुबह करीब 10 बजे सभी श्रद्धालु सिंध नदी में स्नान कर रहे थे। इसी दौरान दिव्यांश भी स्नान करने के लिए नदी में उतर गया, लेकिन उसे यह अंदाजा नहीं था कि पानी कितना गहरा है। परिजनों के मुताबिक, उस वक्त किसी की नजर दिव्यांश पर नहीं पड़ी। कुछ देर बाद जब वह दिखाई नहीं दिया तो खोजबीन शुरू हुई। तभी पुल के पिलर के पास उसके कपड़े नजर आए।
दिव्यांश की तलाश शुरू की गई और गोताखोरों को बुलाया गया। लगभग एक घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद गोताखोरों ने उसका शव सिंध नदी से बरामद किया। शव मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। हर कोई स्तब्ध और शोक में डूबा नजर आया।
दिव्यांश की मां देवकी झा बेटे का शव देखकर फूट-फूट कर रो पड़ीं। उन्होंने बार-बार देवी मां को सवाल किया कि जब बेटे को छीनना ही था तो उसे दिया ही क्यों। मां की पीड़ा इतनी गहरी थी कि वह खुद अपनी जान देने की बात कहने लगीं। रिश्तेदारों ने किसी तरह उन्हें संभाला। मौके पर मौजूद हर शख्स की आंखें नम थीं।
धर्मेंद्र झा, जो देवी रतनगढ़ वाली के बड़े भक्त माने जाते हैं, हर साल भण्डारा और जवारे विसर्जन में खुलकर खर्च करते थे। लेकिन इस बार उसी धार्मिक आयोजन के बीच मातम पसर गया। दिव्यांश की मौत से पूरा माहौल ग़मगीन हो गया और श्रद्धा की जगह शोक ने ले ली।
दिव्यांश अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। उसके खोने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। रिश्तेदार रमाकांत झा के अनुसार, पूरी टोली गांव से ट्रैक्टर ट्रॉली में सवार होकर माता के दर्शन और मन्नत पूरी करने आई थी। किसी को यह अंदेशा नहीं था कि यह यात्रा इस कदर दुखदायी मोड़ ले लेगी।
Published on:
09 Apr 2025 02:46 pm
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