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गली में चल रहे कॉलेज, भवन एक कोर्स अनेक

शिक्षा के नाम पर जिले के कई कॉलेजों में चल रहा फर्जीवाड़ा  

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गली में चल रहे कॉलेज, भवन एक कोर्स अनेक

गली में चल रहे कॉलेज, भवन एक कोर्स अनेक

गली में चल रहे कॉलेज, भवन एक कोर्स अनेक
दतिया। शिक्षा के नाम पर कितना बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है इसका जीता जागता उदाहरण जिले में संचालित बीएड, डीएड, बीएससी नर्सिंग, साधारण कोर्स, आईटीआई कॉलेज हैं। स्थिति यह है कि एक बिल्ंिडग में कई कोर्स संचालित हो रहे हैं तो कहीं गली में कॉलेज का संचालन हो रहा है। पत्रिका ने बड़ौनी, इंदरगढ़ एवं सालोन बी में संचालित कॉलेजों का जायजा लिया तो यह स्थिति सामने आई।

बड़ौनी में संचालित निष्ठा कॉलेज में डीएड, बीएड, आईटीआई, बीए, बीएससी, बीकॉम, डीसीए, पीजीडीसीए, जीएनएम सहित अन्य कोर्स संचालित हो रहे हैं। दो मंजिला इस भवन में जब पत्रिका टीम पहुंची तो न तो कोई स्टाफ मिला एवं न किसी भी प्रकार की व्यवस्था देखने को मिली। कॉलेज में पहुंचने पर यह भी पता चला कि सहालग के दौरान यह बिल्ंिडग विवाह घर में बदल जाती है और यहां शहनाईयों की गूूंज सुनाई देती है। कॉलेज संचालक प्रमोद यादव का पक्ष जानने के लिए उन्हें कई बार कॉल किया लेकिन उनका कॉल रिसीब नहीं हुआ।

गली में चल रहा गांधी कॉलेज

ग्राम सालोन बी में संचालित गांधी कॉलेज में जब पत्रिका टीम पहुंची तो दंग रह गई। आईटीआई सहित अन्य पाठ्यक्रम संचालित करने वाला यह कॉलेज गली में संचालित हो रहा है। टीम ने जब कॉलेज संचालक नवनीत श्रीवास्तव से कॉलेज में संचालित कोर्स व व्यवस्थाओं के बारे में पूछा तो वह अपना राजनैतिक रसूख दिखाने लगे। बता दें कि इस कॉलेज में भवन अभी निर्माणाधीन है। उन्होने टीम को लालच भी दिया और बोले मैनेज कर लो साहब भवन तो बनता रहेगा। अब सोचने वाली बात यह है कि जब भवन निर्माणाधीन है तो मान्यता देते समय निरीक्षण टीम ने क्या देखा।

भवन एक कोर्स अनेक

पत्रिका ने इंदरगढ़ में संचालित खेरापति सरकार ग्रुप ऑफ कॉलेज की स्थिति देखी। कॉलेज प्रबंधन ने एमए, एमएससी, पीजीडीसीए, बीए, बीएससी, बीकॉम, डीसीए की मान्यता ले रखी है। जबकि नियमानुसार यह पूरी तरह गलत है। कॉलेज के साथ इसी बिल्ंिडग में खेरापति सरकार पब्लिक स्कूल भी संचालित है। नियमानुसार अलग - अलग पाठ्यक्रम और स्कूल, कॉलेज संचालन के लिए अलग - अलग बिल्ंिडग होना चाहिए। इस कॉलेज की खास बात यह रही कि भवन के बाहर कॉलेज की कक्षा क ा बोर्ड लगा था लेकिन गेट खोलने पर वहां प्ले सेंटर के बच्चो की स्टडी टेबिल रखी मिली।

प्रचार में आगे व्यवस्थाओं में पीछे

इंदरगढ़ में पत्रिका टीम खंभों पर टंगे श्रीकृष्णा महाविद्यालय के बोर्ड देख कर जब यहां पहुंची तो स्थिति प्रचार के विपरीत थी। कॉलेज के भवन में कमरों के बाहर स्पोट्र्स लैब, जूलॉजी लैब, छात्र कक्ष, छात्रा कक्ष, कॉमन कक्ष के बोर्ड लगे हुए थे। कमरों के गेट खोल कर देखे तो कमरों मे प्रचार सामग्री, टेबिल, बिस्तर व अन्य सामान रखा मिला। जबकि इस कॉलेज के पास बीए, बीएससी, बीकॉम,एमएससी, जीएनएम, बीएड आदि कोर्स की मान्यता है।

बोर्ड बदलते जाओ मान्यता लेते जाओ्र

जानकारी के अनुसार मान्यता देने से पहले आने वाली टीम को मैनेज किया जाता है। मान्यता मिलने के निरीक्षण के समय जब जिस पाठ्यक्रम से संबंधित निरीक्षण दल स्कूल/कॉलेज की बिल्ंिडग में निरीक्षण के लिए आता है। संचालक उसी विषय और मान्यता से संबंधित बोर्ड टांग कर भवन का निरीक्षण करवा देते हैं।