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एक साल बाद भी हजारों बच्चों को यूनिफॉर्म का इंतजार

महिलाओं को रोजगार मिले पर वह काम एक निजी फर्म को दे दिया

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दतिया. जिले के स्कूली बच्चों की यूनिफार्म निर्माण में हद दर्जे की अनियमितता सामने आई है। जो स्कूल ड्रेस महिला स्व सहायता समूहों को बनानी थी ताकि महिलाओं को रोजगार मिले पर वह काम एक सीहोर की फर्म को दे दिया। कपड़ा खरीद कर उसको काट -काट कर महिलाओं को थमा दिया गया। जबकि कपड़ा खरीदने से लेकर यूनिफॉर्म सिलने तक का सारा काम महिलाओं द्वारा किया जाना था ताकि उन्हें रोजगार मिल सके। फिर भी एक साल बाद भी बच्चे स्कूल यूनिफार्म का इंतजार कर रहे हैं।

एक साल पहले शासन ने ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूह को स्कूल ड्रेस बनाने के लिए आर्डर दिया था। समूह के जिम्मेदारों ने ही महिलाओं के के हक से खिलवाड़ करा दिया। समूहों के खाते से स्कूल ड्रेस की राशि निकलवा कर सीहोर की वासुदेव यूनिफार्म नाम की फर्म को दे दी । फर्म द्वारा ही कपड़ा खरीदा गया और कपड़े को काटकर महिलाओं को थमा दिया गया । काम देने तक तो ठीक है पर हैरानी की बात यह है कि एक साल बाद भी बच्चे स्कूल ड्रेस के लिए तरस रहे हैं और वासुदेव फर्म पैसा लेकर मजे कर रही है। जबकि उसे इस लेटलतीफी के लिए नोटिस भी दिया जा चुका है।

25 रुपए में भी नहीं दे सका कपड़ा काटकर
मप्र डे ग्रामाण आजीविका मिशन ने नियमों को ताक पर रखकर सीहोर की वासुदेव यूनिफॉर्म से अनुबंध किया। इसके संचालक संतोष सोनी ने 215 रुपए प्रति ड्रैस के हिसाब से कपड़ा व उसे काटकर देने का कोटेशन दिया। एक साल पहले हुए अनुबंध के बाद अब तक बच्चों को ड्रैस नहीं मिल सकी जबकि समूहों से एडवांस में राशि फर्म को दिलवा दी।

1.42 लाख में से केवल 98 हजार को ड्रेस
जिले की बात करें तो एक से आठवीं तक के 1.42 लाख बच्चों में से केवल 98 हजार के हाथों में ड्रैस पहुंच सकी। भांडेर अनुभाग में हद दर्जे की गड़बड़ी हुई है। स्व सहायता समूह को दिए गए आर्डर में ब्लॉक में अब तक 42 फीसदी बच्चों को ही यूनिफॉर्म मिल सकी है। आंकड़े गवाह हैं कि यहां 14940 बच्चों को 29,880 गणवेश बनाने का ऑर्डर दिया गया था इनमें से अब तक 1260 को ही गणवेश प्राप्त हो सकी है। सेवढ़ा की स्थिति और भी खराब जिले के सेंवढ़ा अनुभाग की स्थिति ड्रैस के मामले में बदतर है। यहां 23430 बालक बालिकाओं को 40866 देनी थी अब तक केवल करीब 15 हजार बच्चों को ही मिल सकी है। आर्डर का केवल 32 फीसदी अब तक वितरित की जा सकी।

71,000 से ज्यादा बच्चों को बननी थी स्कूल यूनिफॉर्म वही 142 लाख स्कूल यूनिफॉर्म बनाई जानी थी। 300 रुपए प्रति ड्रैस का था फंड वही भांडेर अनुभाग में 12,000 करीब यूनिफॉर्म बन सकीं हैा अब तक सेंवढ़ा अनुभाग में 1500 बन सकी हैं । सर्व शिक्षा अभियान डीपीसी, राजेश पैकरा ने कहा कि अभी 1.42 लाख में से 87 हजार स्कूल यूनिफॉर्म ही मिल सकी है। आजीविका मिशन को राज्य शिक्षा केन्द्र की ओर से दस फरवरी तक का वक्त दिया है।