चुनावी मौसम में इन दिनों चुनाव की चर्चा होना स्वाभाविक है। चुनाव की चर्चा के दौरान राजनीतिक गलियारों में 1962 के विधानसभा निर्वाचन की जरूर होती है।
चुनावी मौसम में इन दिनों चुनाव की चर्चा होना स्वाभाविक है। चुनाव की चर्चा के दौरान राजनीतिक गलियारों में 1962 के विधानसभा निर्वाचन की जरूर होती है। यह ऐसा चुनाव था, जिसमें भाषणों से ही हार - जीत तय हुई थी। इस चुनाव में पहली बार मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशी सूर्यदेव शर्मा ने उस समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता श्याम सुंदर श्याम को 4866 मतों से पराजित किया था। राजनीति में रुचि रखने वाले बताते हैं इस चुनाव में सबसे ज्यादा आमसभाएं हुई थीं।
कुशल वक्ता था निर्दलीय प्रत्याशी
विधानसभा निर्वाचन में 1962 में उस समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता श्याम सुंदर श्याम और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाग्य आजमाने वाले पंडित सूर्यदेव शर्मा के बीच मुख्य मुकाबला हुआ था। सूर्यदेव शर्मा ग्वालियर से दतिया चुनाव लडऩे आए थे। शर्मा का यह पहला चुनाव था और वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे। शर्मा कुशल वक्ता थे और उनके भाषण देने का अंदाज बेहद चुटीला था। शर्मा के भाषणों को सुनने के लिए काफी संख्या में लोग किला चौक पर आमसभा के दौरान इक_े होते थे। शर्मा के भाषणों में हास्य व्यंग्य होने से लोग चटखारे लेते थे और हंसी से लोटपोट हो जाते थे। इस चुनाव में कांग्रेस नेता श्याम सुंदर श्याम ने भी कई आसमभाएं कीं थीं, लेकिन लोगों को शर्मा की भाषण शैली इतनी पसंद आई कि उन्हें चुनाव में अच्छे मतों से जिताया और कांग्रेस के श्याम सुंदर श्याम को पराजय का सामना करना पड़ा।
1962 के चुनाव में भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशी
प्रत्याशी का नाम - दल - प्राप्त मत वोट प्रतिशत
- सूर्यदेव शर्मा - निर्दलीय - 12287 49.79 प्रतिशत
- श्याम सुंदर श्याम- कांग्रेेस- 7421 30.07 प्रतिशत
- मथुरा दास - निर्दलीय - 2855 11.57 प्रतिशत
- बाला प्रसाद- निर्दलीय - 995 4.03 प्रतिशत
- दयाराम - पीएसपी - 514 2.08 प्रतिशत
- राधाचरण - निर्दलीय - 400 1.62 प्रतिशत
- चंपा देवी - निर्दलीय - 204 0.83 प्रतिशत