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किसी ने खाया समोसा तो कोई रहा भूख, नहीं मिला मिड डे मील

रसोईयों ने बकाया भुगतान, मानदेय बढ़ाने तथा समूहों ने राशि बढ़ाने के लिए प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा  

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किसी ने खाया समोसा तो कोई रहा भूख, नहीं मिला मिड डे मील

किसी ने खाया समोसा तो कोई रहा भूख, नहीं मिला मिड डे मील

किसी ने खाया समोसा तो कोई रहा भूख, नहीं मिला मिड डे मील

दतिया/इंदरगढ़/सेंवढ़ा। महिला स्व सहायता समूहों एवं रसोईयों की एक दिवसीय हड़ताल का मंगलवार को व्यापक असर दिखा। समूहों व रसोईयों की हड़ताल की बजह से आंगनवाड़ी केंद्रों सहित प्रायमरी एवं मिडिल स्कूलों में बच्चों को मध्यान्ह भोजन(मिड डे मील)नहीं मिल पाया। समूह की सदस्यों व रसोईयों ने पूरे जिले में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया तथा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

जिला मुख्यालय पर महिला स्व सहायता समूह दतिया संगठन की जिला अध्यक्ष रजनी संदीप गुप्ता के नेतृत्व में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम ज्ञापन सौंपा गयां। इससे पूर्व संगठन के संरक्षक सनत पुरोहित के मार्गदर्शन में पीतांबरा पीठ से रैली निकाल कर एडिशनल सीईओ धनजंय मिश्रा को ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर जशोदा रतिराम, ऊषा जगन जाटव, शिवानी लाल सिंह जाटव, कान्ति दुर्गाशरण, रामप्रकाश कुशवाहा, गीता कृपाराम, दीपा रामेश्वर जोगी, रामजानकी लाल सिंह आदि उपस्थित रहे।

सेंवढ़ा में नायब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा

सेंवढ़ा। प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह के आह्वान पर मंगलवार को सेंवढ़ा में भी रसोईयों एवं महिला स्व सहायता समूहों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान समूहों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तहसील कार्यालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करने के पश्चात नायब तहसीलदार सुनील वर्मा को ज्ञापन सौंपा गया।

इंदरगढ़ में निकाली रैली

इंदरगढ़। इंदरगढ़ में महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों व रसोईयों ने रैली निकाल कर प्रदर्शन किया। संगठन की जिला मीडिया प्रभारी सुनीता सुरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि समूह के सदस्य व रसोईए शीतला गंज में गहोई वाटिका के पास एकत्रित हुए। गहोई वाटिका से रैली के रूप में ग्वालियर रोड स्थित तहसील कार्यालय पहुंचे। तहसील कार्यालय में नारेबाजी करने के पश्चात मुख्यमंत्री के नाम आर आई एम एल शर्मा को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालों में जिला प्रभारी शांति राधाचरण श्रीवास्तव, राजकुमारी गुलाब सिंह कमरिया, राजेश्वरी राकेश जाटव, ऊषा लखनलाल करण, जयेंद्र सिंह जाटव, कल्याण सिंह जाटव आदि शामिल रहे।

बच्चों ने खाए बिस्किट व समोसे

इंदरगढ़ में पत्रिका प्रतिनिधि ने दोपहर 12 बजे वार्ड क्रमांक 14 स्थित आंगनवाड़ी केंद्र का भ्रमण किया। इस दौरान केंद्र पर बच्चे नहीं मिले। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि आज मध्यान्ह भोजन न आने की बजह से बच्चे 12 बजे से पहले चले गए। इसके बाद पत्रिका प्रतिनिधि ने प्रायमरी बालक दतिया रोड का भ्रमण किया। यहां भी बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिला। भोजन अवकाश के दौरान स्कूल परिसर में खेल रहे बच्चों से बातचीत की तो एक बच्चे ने बताया कि उसने बिस्किट खाकर भूख मिटार्ई है तो एक बच्चे ने बताया कि उसने समोसा खरीद कर खाया। कुछ बच्चों ने बताया कि आज स्कूल में खाना न मिलने से वह भूखे हैं।

40 लाख से अधिक बकाया

उल्लेखनीय है कि जिले में करीब एक हजार स्कूलों व 900 आंगनवाड़ी केंद्रों में साझा चूल्हा अंतर्गत करीब 600 स्व सहायता समूहों द्वारा मध्यान्ह भोजन का वितरण किया जाता है। मध्यान्ह भोजन के लिए सरकार प्रायमरी स्कूलों में प्रति बच्चे के मान से 5 रुपए 45 पैसे और मिडिल स्कूलों में 8 रुपए 17 पैसे के हिसाब से भुगतान करती है। जिले में समूहों को जनवरी तक का भुगतान किया जाता है। जबकि भोजन बनाने वाले रसोईयों को जनवरी माह का भुगतान नहीं मिला है। जिले में मध्यान्ह भोजन बनाने का काम करीब एक हजार रसोईए करते हैं, जिन्हें सरकार दो हजार प्रतिमाह के मानदेय देती है। जनवरी माह का भुगतान न मिलने से प्रशासन को खाना बनाने वालों का करीब 40 लाख रुपए भुगतान करना है।

यह मांगें हैं समूह व रसोईयों की

समूहों की मांग है कि महंगाई को देखते हुए प्राथमिक विद्यालय में 10 रुपए प्रति छात्र, माध्यमिक स्कूलों में 15 रुपए प्रति छात्र व आंगनबाड़ी में 15 रुपए प्रति हितग्राही के मान से भुगतान किया जाए। समूहों की यह भी मांग है कि अभी उन्हें स्कूल में दर्ज छात्र संख्या की राशि में से 60 - 65 प्रतिशत राशि ही दी जाती है जिसे बढ़ाकर सौ प्रतिशत किया जाए। इसके अलावा शालाओं में विशेष पर्व जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, प्रतिभा पर्व आदि के विशेष भोज की राशि एवं खाद्यान्न अतिरिक्त उपलब्ध कराई जाए। समूह के सदस्य इससे नाराज हैं कि सरकार की होने वाली सभाओं में भोजन व्यवस्था की जबावदारी समूहों को दी जाती है, पर उसका भुगतान कभी नहीं किया गया। जिसका भुगतान समूहों के खाते में किया जाए और ईधन का भुगतान अलग से किया जाए। वहीं रसोईयों की मांग है कि उनका मानदेय 2000 रुपए से बढ़ाकर 6000 रुपए किया जाए।