
लालसोट. नालावास गांव में मोरेल नदी पर ग्रामीणों ने तैयार किया अस्थाई कच्चा बांध। फोटो- महेश बिहारी शर्मा, ड्रोन सहयोग- हंसराज बैरवा
दौसा। लालसोट क्षेत्र के नालावास व गोकुलपुरा गांव के सैकड़ों ग्रामीणों के सिर पर इन दिनों एक ऐसा जुनून सवार है, जो कि आज के इस आधुनिक युग में बहुत कम ही आपको देखने को मिलेगा। इन दोनों गांवों के ग्रामीण कोशिश करने वालों की हार नहीं होती है, इस कहावत को चरितार्थ करने में जुटे हैं।
दौसा-जयपुर जिले की सीमा बांटने वाले मोरेल नदी में बीते करीब एक माह से खूब पानी बह रहा है। इसके चलते बीत दिनों इन दोनों गांवों के ग्रामीणों ने मोरेल नदी के पानी को रोककर एक अस्थाई कच्चे बांध का निर्माण किया था, लेकिन यह बांध पानी के तेज बहाव के चलते 12 घंटे भी नहीं टिक सका और 9 सितबर को कटाव लगने के बाद यह बांध टूट गया था।
बस उसी दिन दोनों गांवों के ग्रामीणों ने दोबारा कच्चा बांध दोबारा बनाने का निर्णय ले लिया और नदी में पानी का वेग कम होने पर बीते तीन दिनों में दिन-रात काम करते हुए दोबारा कच्चा बांध तैयार कर दिया है, इस बार बांध की मजबूती के लिए थूणियाधिराजपुरा व संवासा गांवों में खनन व्यवसाय कार्य से जुड़े लोगों ने अपने डंपर भेजकर नि:शुल्क मोरम की व्यवस्था भी की है। इसके चलते सोमवार सुबह दोबारा यह कच्चा बांध बनकर तैयार हो गया है। इस बार कच्चे बांध से पानी निकासी के लिए भी पाइप लगाकर व्यवस्था की है।
दोबारा निर्माण अवधि- 3 दिन
कार्य में जुटे ग्रामीण- लगभग 200-300
मोरम - 50 डंपर (नि:शुल्क सहयोग, थूणियाधिराजपुरा व सवांसा)
पानी निकासी- 20 बड़े व 100 छोटे पाइप
साधन- आधा दर्जन जेसीबी, रोलर व पोकलेन मशीन
पाल की लंबाई- 300 मीटर
प्त पाल की चौड़ाई- 70 फीट
ॲजल भराव क्षेत्र- 1 किमी
प्रभावित किसान - 40 से 50 हजार किसान
बांध से लाभ- दो दर्जन गांवों में लंबे समय तक भूमिगत जल स्तर बढ़ेगा
Published on:
17 Sept 2024 05:26 pm
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