लालसोट. दौसा. ईआरसीपी यानि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग को लेकर पिछले लंबे समय से उठाई जा रही आवाज अब एक आंदोलन का रूप ले चुकी है। प्रदेश में कुछ महिनों बाद होने जा रहे विधानसभा चुुनावों में भी यह मुद्दा इस बार काफी प्रमुखता से छाए रहने की उम्मीद है।
ईआरसीपी को लेकर गांव-गांव जागरुता फैला रहे ईआरसीपी संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान मेें चलाया जा रहा जागरुकता अभियान गुरुवार से लालसोट क्षेत्र मेें शुरू होगा। इसेसफल बनाने के लिए बुधवार को नेहरू गार्डन में इस अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। इसमें सभी वक्ताओं ने एक स्वर में ÓÓईआरसीपी नहीं तो वोट नहींÓÓ का नारा देते हुए कहा कि पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की जनता पानी के गंभीर संकट से जूझ रही है।
प्रदेश की सरकार ईआरसीपी की डीपीआर को संशोधित करते हुए छूटे हुए सभी बांधों को इसमे शामिल करें व केंद्र सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देकर तत्काल मूर्त रुप दें। ण्दि दोनों ही दलों के जनप्रतिनिधि 13 जिलों की जनता की उम्मीदों पर खरे नही उतरे तो विधानसभा चुनावों में पूर्वी राजस्थान का एक मात्र मुद्दा ईआरसीपी ही रहेगा और ÓÓईआरसीपी नही तो वोट नहीÓÓ का नारा होगा।
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश्वरी मीना खुर्रा ने कहा कि गुरुवार से यह जागरुकता अभियान लालसोट में शुरू होने जा रहा है,8 व 9 जून कोको ग्राम स्तर नुक्कड़ सभा व 10 को विशाल रैली का आयोजन होगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में पूर्वी राजस्थान का एक मात्र मुद्दा ईआरसीपी ही रहेगा, प्रदेश व केंद्र की सरकारें सचेत नही होती है तो आगामी समय में बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन व हाइवे जाम जैसे आंदोलन भी होंगे।
बैठक में अभियान की रुपरेखा तय करते हुुए ग्राम पंचायत वार जिम्मेदारी भी तय की गई। बैठक में कमलेश लोटन, सवांसा सरपंच प्रतिनिधि दिनेश मीना, लाखनपुर सरपंच प्रतिनिधी लालाराम बैरवा, रामोतार जोरवाल, छात्र संघ अध्यक्ष रोशन मंडावत, विमल गोठवाल, रामभजन आभानेरी,गणेश चौहान, विशाल राजवंशी, कैलाश, रामस्वरुप, ङ्क्षपटू, विनोद, हरकेश एवं अविनाश समेत कई युवा भी मौजूद रहे।