
Chand Baori: अपनी ऐतिहासिक सुंदरता के लिए राजस्थान की दुनियाभर में खास पहचान है। यही वजह है कि दुनियाभर से लाखों की संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं। किलों, महलों, झीलों, स्मारकों और बावड़ियों के लिए भी राजस्थान मशहूर है। वैसे तो राजस्थान में कई बावड़ियां है। लेकिन, दुनिया की सबसे गहरी आभानेरी की प्रसिद्ध चांद बावड़ी अपने आप में कुछ ज्यादा ही खास है। आइए जानते हैं इस बावड़ी से जुड़ी कई रहस्मयी बातें…
चांद बावड़ी राजस्थान के दौसा जिले के आभानेरी गांव में स्थित है। चांद बावड़ी राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 97 किलोमीटर दूर है। 9वीं शताब्दी में निर्मित इस बावड़ी का निर्माण गुर्जर प्रतिहार वंश के राज मिहिर भोज उर्फ चांद ने करवाया था। यही वजह है कि इस बावड़ी को चांद बावड़ी के नाम से जाना जाता है। यह बावड़ी 35 मीटर चौड़ी है और पक्की सीढियां बनी हुई हैं। 13 मंजिला यह बावड़ी 100 फीट से भी ज्यादा गहरी है, जिसमें करीब 3500 सीढियां है।
इस बावड़ी को भूलभुलैया के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह बावड़ी एक ही रात में बनकर तैयार हो गई थी। इतना ही नहीं, स्थानीय लोगों का तो यह भी दावा है कि इस बावड़ी का निर्माण इंसानों ने नहीं, भूतों ने किया था। चांद बावड़ी के साथ ही अलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी भी एक ही रात में बनी थी।
यह भी कहा जाता है कि एक बार यहां एक बारात आई और चांद बावड़ी में मौजूद अंधेरी-उजाली गुफा में उतर गई। इसके बाद बारात का कोई भी आदमी बाहर नहीं आई। यह भी आज तक रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर पूरी बारात कहां पर गायब हो गई है। इस गुफा की लंबाई 17 किमी है, जो भांडारेज गांव में निकलती है।
रिकॉर्ड बताते हैं कि राजस्थान की चांद बावड़ी दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े सीढ़ीदार कुओं में से एक है। लेकिन, इसमें और भी बहुत कुछ खास है। यह भी कहा जाता है कि कोई भी इंसान कभी भी एक ही सेट की सीढ़ियों का इस्तेमाल करके बावड़ी में नीचे नहीं जा पाया और फिर उसी रास्ते से वापस ऊपर नहीं चढ़ पाया। इतना ही नहीं, आप एक ही सीढ़ी पर दो बार कदम भी नहीं रख सकते हैं। यह बातें जितनी अविश्वसनीय है, उतनी ही रोचक भी है।
Updated on:
23 Jun 2024 11:41 am
Published on:
20 Jun 2024 03:32 pm
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