27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

किस्सा किले का- राजस्थान का वो गढ़ जहां है ‘मच्छी दरवाजा’ और ‘मिट्टी का परकोटा’

https://www.patrika.com/rajasthan-news/

2 min read
Google source verification

दौसा

image

Rajesh

Jul 06, 2018

dausa fort

दौसा/जयपुर

ढूंढाड़ राज्य के दो धणी थे। इनमें एक थे लवाण के राजा जगराम... इनके राज्य की सीमा पूर्व दिशा में गंगापुर सवाई माधोपुर जिला, पश्चिम में कानोता जयपुर जिला और उत्तर में गोला का बास भी लवाण राज्य में ही आते थे। धूलाराव रघुवीरसिंह ने बताया कि घाट की गुणी जयपुर पर विध्याधरजी के बाग के पास जो दरवाजा है, वह पहले लवाण गेट के नाम से जाना जाता था। इसे आज मच्छी दरवाजे के नाम से जानते हैं। लवाण के राजा ने निवास के लिए किले का निर्माण कराया। इसके चारों तरफ मिट्टी का परकोटा बना है। इसके बाहर की तरफ काफी चौड़ी लम्बी पाल है। किले के सामने हनुमानजी का मन्दिर है।


काफी ऊंचा है किले का दरवाजा
किले का दरवाजा इतना ऊंचा है कि जब राजा हाथी पर सवार होकर अन्दर जाते थे तो भी झुकना नहीं पड़ता था। हर एक दरवाजे के बाद एक बड़ा चौक आता है। किले में विशाल कचहरी व लेखा जोखा का हॉल भी है। किले के दूसरे दरवाजे के अन्दर भगवान गोविन्ददेव का मन्दिर व विशाल चौक बना हुआ है। मन्दिर के नीचे व प्रांगण में बावड़ी आज भी बनी हुई है। जो किले में पानी का प्रमुख स्रोत था। किले से एक सुरंग तालाब में आ रही है। तालाब के बीच में बगरू शिवालय भी था। किले में आज भी दीवान ए खास व जनानी ड्योढ़ी है। जो अब तक सुरक्षित है। इसकी बनावट रंगीन है। किले में आज भी भौमियाजी महाराज का स्थान है। लड़ाई से पहले राजा यहीं सिर टेक कर जाया करते थे।


अतिक्रमण की चपेट में लवाण का किला
जिले के लवाण कस्बे में स्थित प्राचीन किला देखरेख के अभाव में खण्डहर में तब्दील हो रहा है। इसकी मरम्मत पर पुरातत्व विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। वहीं किले के समीप बढ़ते अतिक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इससे अतिक्रमियों के भी हौसले बुलंद हो रहे हैं। किले में बनी उंची छतरी भी अब गिरने के कगार पर है। आस-पास के ग्रामीणों ने अब किले के समीप अतिक्रमण करना शुरू कर दिया है। कई लोगों ने तो किले के चारों तरफ पक्के निर्माण करके अतिक्रमण कर लिया है। किले में बने सभी हाल व भवन गिरने के कगार पर हैं। रानी महल से भी चूना गिरने से पट्टियां दिखने लगी है। हादसे की आशंका के चलते लोग भवन में कोई घुस नहीं पाते हैं। सुरंग की छत भी जमीन में धंसने से गहरा गड्ढा हो गया है। किले की पाळ का नामोनिशान ही मिट गया है।