
गुढ़लिया के अरनिया में सर्च अभियान चलाकर पगमार्क के आधार पर पैंथर को ढूंढ़ते पुलिसकर्मी व वनकर्मी।
बांदीकुई/गुढ़लिया-अरनिया. क्षेत्र के ग्राम पंचायत अरनिया के मूलचंद पेटमैन की ढाणी में शनिवार सुबह पैंथर के आ जाने से हडक़म्प मच गया। सूचना पर कोलवा थाना पुलिस एवं वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक पैंथर खेतों में होकर विचरण करता हुआ चला गया। हालांकि खेतों में मिले पगमार्क के आधार पर वन विभाग की टीम करीब 8 किलोमीटर दूरी तक पगमार्ग ढंूढ़ते हुए बायपास बांदीकुई स्थित सांई मंदिर तक पहुंच गई, लेकिन इसके बाद पगमार्क दिखाई नहीं दिए। इससे वन विभाग के कर्मचारी भी चिंतित दिखाई दिए। पैंथर आने का चार दिन में यह दूसरा मामला है। इससे अब लोगों को भय के साए में रात गुजारने को मजबूर होना पड़ रहा है।
शनिवार सुबह करीब सवा पांच बजे मूलचंद पैटमेन की ढाणी निवासी महिला रत्नीदेवी शर्मा दूध निकालने के लिए मकान के समीप स्थित बाड़े में गई तो उसे मकान के समीप ही पैंथर दिखाई दिया।
चिल्लाने की आवाज सुनकर जेठ मूलचंद आया। कुछ ही देर में मोहल्ले के लोग भी एकत्र होकर लाठी-डण्डे लेकर खेतों की तरफ गए तो पैंथर खेतों में होकर मुवमेंट करते हुए आंखों के सामने ही ओझल हो गया। सूचना पर करीब सवा 6 बजे कोलवा थाना प्रभारी बनवारीलाल मय जाप्ते एवं वन विभाग के फोरेस्टर अनूपसिंह, चन्द्रभानू शर्मा व बाबूसिंह भी मौके पर पहुंच गए। जहां पगमार्क जांच की तो पैंथर के ही पंजे होने की पुष्टि हुई। इसके बाद रेलवे स्टेशन अरनिया के समीप स्थित ढाणी से ही कीरतपुरा, प्रतापपुरा, रेलवे ट्रेक के समीप नालों से होते हुए बायपास स्थित गोदाम तक पगमार्क दिखाई देने पर सर्च अभियान चलाया, लेकिन आगे कहीं पगमार्क दिखाई नहीं दिया। पैंथर आबादी क्षेत्र में नहीं आने को लेकर वन विभाग का दल बायपास पर तैनात है।
सरिस्का क्षेत्र सटा होने से आ जाते हैं वन्य जीव
उपखण्ड क्षेत्र की तीन ग्राम पंचायतों के दर्जनों गांव-ढाणी सरिस्का वन क्षेत्र से सटे हुए हैं। ऐसे में वन्य जीवों के आने का अंदेशा रहने से किसान हमेशा चिंतित रहते हैं। सूत्रों के मुताबिक चांदेरा, मुहीं एवं ऐचेड़ी ग्राम पंचायत सरिस्का वन क्षेत्र से सटी हुई हैं। जबकि रेहडिय़ा बांध भी वन क्षेत्र से सटा हुआ है। जहां से वन्य जीव विचरण करते हुए क्षेत्र में आ जाते हैं और रात को भोजन की तलाश में आबादी क्षेत्र की ओर मूवमेंट कर जाते हैं। इससे पहले भी कई बार जरख एवं अन्य वन्य जीव आबादी क्षेत्र में आ चुके हैं। चार दिन पहले भी 17 दिसम्बर 2019 को गुढ़लिया के मोती झील की ढाणी में पैंथर आ गया था। जिसे रेस्क्यू दल जयपुर ने आकर काफी मशक्कत कर ट्रेंक्यूलाइज किया था। इसके बाद अब शनिवार तडक़े फिर पैंथर के क्षेत्र में आने से लोगों में खलबली मची हुई है।
गौरतलब है कि करीब पांच-छह साल पहले इन तीनों ग्राम पंचायतों को सरिस्का वन क्षेत्र में शामिल किए जाने का प्रस्ताव भी लिया गया था, लेकिन क्षेत्र के लोगों के विरोध के चलते ये ग्राम पंचायतें शामिल नहीं हो सकी।
भय के साये के बीच खेतों की सिंचाई
फसल सिंचाई के लिए रात को ही बिजली सप्लाई दी जाती है। ऐसे में किसान खेतों में रातभर अकेले सिंचाई करते हैं, लेकिन चार दिन में दो बार पैंथर आने का मामला सामने आने से किसान भी सहमे हुए हैं। किसानों का कहना है कि बिजली निगम की ओर से यदि रात की जगह दिन में बिजली सप्लाई रोस्टर के हिसाब से चालू कर दी जाए। तो काफी हद तक राहत मिल सकती है।
भोजन की तलाश में आ जाते हैं वन्य जीव
पैंथर के मूवमेंट के लिए वन विभाग की टीम ने सर्च अभियान चला रखा है। जैसे ही कोई मूवमेंट होगा तो रेस्क्यू दल को सूचना देकर ट्रेंक्यूलाइज कराने का प्रयास किया जाएगा।- अनूपसिंह, फोरेस्टर वन विभाग बांदीकुई
Published on:
21 Dec 2019 06:13 pm
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