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सरस्वती प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा

कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मों से बढ़कर

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सरस्वती प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा

लालसोट. डिडवाना गांव के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में दो दिवसीय सरस्वती प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा समारोह गुरुवार को संपन्न हुआ। इस मौके पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पंचमुखी हनुमान मंदिर के संत रघुनाथ दास, सरपंच दीपक पटेल एवं प्रधानाचार्य आरपी शर्मा ने विधिवत पूजन के बाद प्रतिमा को विराजित कराया। उप सरपंच रमसीलाल सैनी, कल्याण डाबरा बृजमोहन थानेदार, राकेश सामोत्या नंदू पंडा, ग्राम पंचायत सचिव विजेंद्र जैन, रामकरण चौपडय़ा, रामफूल सैनी, नेतराम गुर्जर, घनश्याम शर्मा, रामकिशोर सैनी, कमल जैमन, सर्वेश पारीक, विमल मीना, बाबूलाल मीना, प्र्रहलाद मीना, नंदलाल मीना, मुकेश रछौया, राजेन्द्र गुप्ता, विकास सैनी आदि मौजूद थे। (नि.प्र.)

मेहंदीपुर बालाजी.. धार्मिक नगरी में अंजनी माता मंदिर के पास स्थित श्रीबालाजी संकटमोचन धाम आश्रम में चल रही आचार्य संतोषचंद्र पाण्डेय के सान्निध्य में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में दूसरे दिन गुरुवार को कपिलोपाख्यान व धु्रव चरित्रादि कथा का आयोजन किया गया। कथावाचक लालजी भाई शास्त्री ने कहा कि कलियुग में श्रीमद्भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है, क्योंकि कल्पवृक्ष मात्र तीन वस्तु अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है। मुक्ति और भक्ति नहीं दे सकता है। लेकिन श्रीमद्भागवत तो दिव्य कल्पतरू है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत केवल पुस्तक नहीं साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है। इसके एक-एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाए हुए हैं। शास्त्री ने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मों से बढ़कर है। आचार्य पाण्डेय ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा प्रतिदिन अपराह्न तीन बजे शुरू होकर शाम तक चलती है। इसमें कई प्रदेशों के श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। इस दौरान प्रोफेसर रमेशचंद पाण्डेय, राकेश पाण्डेय, मनीष कुमार, ऋषभ आदि मौजूद थे।

गुढ़ाकटला . मुही के खूण्ड जाटोली में आयोजित शिव प्राण प्रतिष्ठा पूर्णाहुति गुरुवार को यज्ञ के साथ सम्पन्न हुई। प्रधान आचार्य परमानन्द शास्त्री ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कराई। भण्डारे में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पंगत लगाकर प्रसादी गृहण की। इस दौरान रामदेव मीना, रामसिंह मीना, मरदाना मीना, औंकार पटेल, चंदाराम मीना, हरजीराम, बुद्धाराम मीना, रमसी मीना, अशोक मीना आदि मौजूद थे।