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#sehatsudharosarkar: स्वास्थ्य का डगमगाता पाया, चिकित्सा सेवाओं से महरुम आबादी का बड़ा हिस्सा

रैफर टू जयपुर की लाइलाज बीमारी से ग्रसित दौसा के सरकारी अस्पताल।

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दौसा

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Manish Sharma

Sep 14, 2017

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दौसा. अतिआवश्यक सेवाओं में शामिल स्वास्थ्य सेवा का पाया जिले में डगमगाता जा रहा है। गांव हो या शहर सरकारी अस्पतालों में मरीजों का तांता लगा है। मरीजों की बढ़ती संख्या के अनुपात में संसाधान कमतर साबित हो रहे हैं। अस्पताल बीमार पड़े हैं, लेकिन उनका इलाज सरकार नहीं कर पा रही है। दौसा जिले के सभी अस्पताल रैफर टू जयपुर की लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं। किसी अस्पताल में संसाधनों की कमी है तो किसी में चिकित्साकर्मी नहीं हैं।

जिले के सरकारी अस्पतालों में करीब ढाई लाख मरीज प्रतिमाह पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी देखरेख के लिए करीब 175 चिकित्सक ही हैं। चिकित्सकों के जिले में पद बढ़ाने की जरूरत है। ग्रामीण इलाकों में नर्सिंगकर्मियों की कमी है। चिकित्सा विभाग स्वास्थ्य के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा हो, लेकिन आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं से महरुम है। ग्रामीण इलाकों की हालात तो अधिक खराब है। प्रसव से लेकर सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। साफ-सफाई से लेकर संसाधनों की कमी अधिकतर अस्पताल में बनी हुई है।


आपातकालीन सुविधाओं का अभाव

जिले के सबसे बड़े राजकीय अस्पताल का भवन तो विशाल है, लेकिन यहां पग-पग पर गंदगी का आलम है। मुख्य मार्ग में अस्पताल के गेट के पास कीचड़ पसरा रहता है। लालसोट सीएचसी में आपातकालीन सुविधाओं का अभाव है। दुर्घटना व गंभीर रोगी आने पर चिकित्सक भी मौके पर नहीं मिलते। ऑनकॉल आने पर काफी समय लग जाता है। ज्यादातर चिकित्सक आते ही मरीज को रैफर कर देते हैं।

बांदीकुई व पापड़दा सीएचसी मेें सोनोग्राफी की सुविधा नहीं है। हड्डी रोग विशेषज्ञों की कमी है। नांगल पीएचसी में चिकित्सक नहीं है। सिकंदरा, महुवा, मंडावर आदि इलाकों के अस्पतालों में भी सामान्य बीमारियों का ही इलाज हो पाता है। लवाण में सीएचसी है, लेकिन हाल पीएचसी जैसा है।


जिले में चिकित्सकों के 175 पद स्वीकृत है। 108 मूल पद पर व 49 चिकित्सकों को पद विरुद्ध लगा रखा है। एएनएम के 405 पदों में से 276 ही कार्यरत हैं। इनके 133 पद रिक्त हैं। फार्मासिस्ट के 33 पद पूरे भरे हैं, लेकिन जिले में 61 सीएससी एवं पीएससी हैं। ऐसे में पुरानी पीएससी में फार्मासिस्ट ही नहीं हैं।

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के हाल


राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत दौसा में दो शहरी पीएससी की स्थापना की गई। करीब एक करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक भवन बनने के बाद भी उनमें मरीजों को पूरी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। कलक्ट्रेट स्थित पीएससी में लैब संचालित नहीं है। कार्मिकों के अभाव में मरीजों को भर्ती करने की सुविधा भी नहीं है।

यहां लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट के पद रिक्त चल रहे हैं, जबकि पांच में से दो ही एएनएम है। यहां फिलहाल सामान्य बीमारियों के पीडि़त ही परामर्श लेने आ रहे हैं। अरबन हैल्थ प्लानिंग कंसलटेन्ट पूजा सैनी ने बताया कि शहरी क्षेत्र में स्थित पीएससी में शीघ्र ही कार्मिक एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की जाएगी। लैब को भी शुरू कराया जाएगा।

फैक्ट फाइल
जिला अस्पताल- 1
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र - 15
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र-44
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र-2
स्वीकृत चिकित्सकों के पद-228
कार्यरत चिकित्सक-210
स्वीकृत एएनएम के पद-407
रिक्त एएनएम के पद-133
प्रतिमाह इनडोर- 15,000
प्रतिमाह आउटडोर- 2,50,000
जिला अस्पताल में जांच- 27,000

इनका कहना है
विभाग में एएनएम से लेकर अन्य कार्मिक प्रसूताओं पर निगरानी रखते हैं। उनके टीकाकरण से प्रसव तक ध्यान रखा जाता है। सरकारी अस्पतालों में अन्य संसाधन व सुविधाओं में भी बढ़ोतरी हुई है।
डॉ पीआर मीना, सीएमएचओ