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#sehatsudharosarkar: स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते झोलाछाप, चिकित्सा अधिकारी बने हैं अनजान

चिकित्सा विभाग की ओर से 350 से अधिक झोलाझापों को चिह्नित भी किया गया, लेकिन उनकी दुकाने बंद कराने का हवाला देकर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली गई।

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दौसा

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Manish Sharma

Sep 18, 2017

dausa medical news

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दौसा. जिले में जितने सरकारी चिकित्सक कार्यरत है। उससे कहीं अधिक झोलाझाप एवं नीम हकीम मरीजों का उपचार कर उनके जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। मरीजोंं की संख्या के अनुपात में चिकित्सकों की कमी के कारण लोगों को मजबूरी में झोलाझापों के चक्कर में फंसना पड़ रहा है। चिकित्सा विभाग की ओर से 350 से अधिक झोलाझापों को चिह्नित भी किया गया, लेकिन उनकी दुकाने बंद कराने का हवाला देकर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली गई।


सूत्रों के मुताबिक झोलाझापों की बढ़ती संख्या के कारण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से सर्वे कराकर 369 झोलाझापों को चिह्नित किया गया। इनमें दौसा में 128, सिकराय में 62, महुवा में 39, बांदीकुई में 88 एवं लालसोट में 52 झोलाझाप चिह्नित किए गए। इनमें से 303 की दुकानें बंद करा दी गई एवं 14 लोगों को नोटिस जारी किए गए।


केवल मात्र 17 लोगों के खिलाफ ही पुलिस में परिवाद पेश किया जा सका। इसमें से भी कुछ मामलों में पुलिस ने एफआर लगा दी। ऐसे में कुछ झोलाझापों ने अपना ठिकाना बदलकर एवं कुछ तो उन्हीं स्थानों पर बेरोकटोक उपचार में लगे हुए हैं। जबकि ऐलोपैथिक दवाइयों से उपचार करने के लिए संबंधित के पास अधिकृत डिग्री एवं विधिवत पंजीयन होना आवश्यक है। ऐसा न होने पर कठोर कारावास एवं जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रावधान भी है, लेकिन न्यायालय के आदेश, अधिकारियों के निर्देश एवं नागरिकों की शिकायत के बाद भी झोलाछाप अवैध रूप से मरीजों का उपचार कर उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है।


खास बात यह है कि इक्कीसवीं सदी में अंधविश्वास के चलते गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने के बाद भी लोग उपचार के लिए झाड-फंूक एवं टोने-टोटके का सहारा ले रहे हैं।


चिकित्सकों की अखरती है कमी


जिले में मौसमी बीमारियों के सीजन के चलते सरकारी अस्पतालों में प्रतिमाह करीब 2 लाख 50 हजार मरीज आउटडोर में उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं 15 हजार मरीज इनडोर में भर्ती होकर उपचार करा रहे है। ऐसे में अस्पतालों में मरीजों की भीड के कारण लोग झोलाझापों के चक्कर में पड रहे हैं।


अनजाने में दे रहे एंटीबायोटिक


बिना डिग्री वाले ये झोलाछाप मरीज की बीमारी जाने बिना ही अनावश्यक रूप से हायर एंटीबायोटिक्स का भी उपयोग करते है, ताकि मरीज को तुरंत आराम पहुंचने से उनकी प्रसिद्वि हो जाए, लेकिन इसके दीर्घकालीन गंभीर परिणाम मरीज को भोगने पडते है। मुनाफा कमाने के लिए ग्लूकोज आदि की बोतल चढ़ाकर भी मोटी रकम वसूल लेते हैं।


लोगों को करते हैं गुमराह


चिकित्सा व्यवसाय कर रहे झोलाझाप अपने साइन बोर्ड पर लोगों को गुमराह करने के लिए अपने नाम के आगे डॉक्टर शब्द का उपयोग करते हैं एवं भोले-भाले ग्रामीणों को धोखा देने एवं अपना उल्लू सीधा करने के लिए अपने बोर्ड व वाहनों पर रेड क्रॉस का चिह्न लगाकर जिनेवा कन्वेंशन एक्ट का भी उल्लंघन कर रहे है।


फैक्ट फाइल


सरकारी अस्पताल-62
स्वीकृत चिकित्सकों के पद-228
कार्यरत चिकित्सक-210
स्वीकृत एएनएम के पद-407
रिक्त एएनएम के पद-133
प्रतिमाह आउटडोर-2,50,000
प्रतिमाह इनडोर-15,000
सर्वे में चिह्नित झोलाझााप की दुकानें-369
दुकानें बंद कराई-303
पुलिस में एफआईआर दर्ज-17
नोटिस जारी किए-14

झोलाझाप चिकित्सकों के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। कई बार कार्रवाई के दौरान ये इधर-उधर भाग जाते है। इनके खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. नरेन्द्र शर्मा, ब्लॉक सीएमएचओ दौसा