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#sehatsudharosarkar: कमजोर नींव पर अपना भविष्य

शारीरिक रूप से कमजोर हैं हजारों बच्चे, आबादी के मुकाबले संसाधन बौने।

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दौसा

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Manish Sharma

Sep 17, 2017

dausa hospital

dausa hospital

दौसा. सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है, लेेकिन आबादी के मुकाबले संसाधन बौने नजर आ रहे हैं। इसे सरकारी उदासीनता कहें या पारिवारिक मजबूरी। काफी संख्या में गर्भवती महिलाएं रक्त की कमी (एनिमिक) से जूझ रही है एवं छोटी उम्र के हजारों बच्चे भी शारीरिक रूप से कमजोर हंै।


जिला अस्पताल में ही अगस्त माह में 1330 प्रसव हुए हैं। इनमें 61 सिजेरियन प्रसव शामिल है। जबकि 174 मामले रैफर किए गए है। यह कार्य केवल 8 नर्सिंगकर्मियों के भरोसे ही हो रहा है। जबकि 7 स्त्री रोग विशेषज्ञ कार्यरत हैं। वार्डों में पलंग की कमी के कारण महिलाओं को जगह तक नहीं मिल पाती है।

इसके अलावा जिले की अधिकांश सीएचसी पर सिजेरियन प्रसव नहीं कराया जा रहा है, वहीं कई पीएचसी पर तो साधारण डिलेवरी करने तक से कतराया जा रहा है। जिले में वर्ष 2017-18 में नवजात से लेकर 6 वर्ष तक के 17 हजार 434 बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर है। जिला अस्पताल स्थित कुपोषण उपचार केन्द्र में जनवरी से लेकर अब तक 65 कुपोषित बच्चों को भर्ती कर उपचार भी किया जा चुका है।

विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी


जिला अस्पताल के अलावा जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 53 पद स्वीकृत है, लेकिन केवल 11 ही विशेषज्ञ कार्य कर रहे हैं। इसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ के 6 में से 4, शिशु रोग विशेषज्ञ के 6 में से 5, सर्जन के 15 में से 14, निश्चेतन के 4 पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में पद विरुद्ध चिकित्सक लगाकर कार्य कराया जा रहा है।

पापड़दा में सीबीसी मशीन खराब


दो दशक पहले पापड़दा कस्बे के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को क्रमोन्नत कर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तब्दील तो कर दिया, लेकिन संसाधनों के अभाव में सिजेरियन डिलेवरी नहीं हो पाई। मौसमी बीमारियों के सीजन में भी सीबीसी जांच की मशीन करीब छह माह से खराब पड़ी है।


ये कैसे आदर्श अस्पताल


जिले में 11 आदर्श पीएचसी तो स्थापित कर दिया गया, लेकिन इनमें सुविधाओं में कोई इजाफा नहीं हो सका है। आदर्श पीएचसी गुढा कटला में पीने के पानी की सुविधा तक नहीं है। चिकित्सक आवासों का बिजली कनेक्शन तक कटा हुआ है। ऐसे में चिकित्सक रात में क्वार्टर में रुकने से कतराते है।

एक्सरे की सुविधा भी शुरू नहीं हो पाई। खास बात यह है कि यदि बिजली चली जाए तो चिकित्सक कक्ष सहित अन्य जगह तो इन्र्वटर से बिजली सप्लाई की जाती है, लेकिन वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए यह सुविधा मुहैया नहीं है। पूर्व सरपंच महेश सैनी ने बताया कि कई बार अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।


गर्भवती महिलाओं मेंं है रक्त की कमी


चिकित्सा विभाग की ओर से वर्ष 2016-17 में मातृत्व दिवस पर 939 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए जांच की गई। इनमें से 108 महिलाओं को गंभीर एनिमिया रक्त की कमी होने के कारण आईवी आयरन सुक्रोज डोज देना पड़ा। वहीं 118 महिलाओं को हाई रिस्क प्रेगनेंसी चिह्नित किया गया। इस वर्ष 514 महिलाओं में से 36 को यह डोज देना पड़ा। प्रसव के समय रक्त की जरुरत होने पर जिला अस्पताल स्थित जिले के एक मात्र ब्लड बैंक में ही आना पड़ता है।

गुढ़ाकटला निवासी श्रीकृष्ण शर्मा ने बताया कि यहां पीएचसी में पीने का पानी तक नहीं है। इसके लिए कई बार अधिकारियों को अवगत करा दिया है।


सुरेश सैनी ने कहा कि गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा सुविधाएं विकसित होनी चाहिए। इसके लिए सरकार को अलग से बजट स्वीकृत करना चाहिए।

कराएंगे बिजली कनेक्शन
एनएचएम के तहत जल्द ही चिकित्सक आवासों में बिजली के कनेक्शन कराए जाएंगे। पीने के पानी की समस्या का स्थाई हल निकालने के लिए प्रयासरत हैं।
डॉ. अरशद अहमद, प्रभारी आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, गुढ़ाकटला


निगरानी रखते हैं


गर्भवती महिलाओं के लिए विभाग की ओर से कई प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही है। इसके लिए कार्मिक पूरी तरह से सजगता से कार्य करते हैं। वे स्वयं भी निरीक्षण कर निगरानी रखते हैं।
डॉ. आरके. मीना, जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी दौसा

छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों की स्थिति

क्षेत्र स्वस्थ कमजोर
दौसा शहर 4490 96
दौसा ग्रामीण 2615 1910
बांदीकुई 13927 2468
लालसोट 20319 9294
महुवा 8535 1883
सिकराय 7049 1741
स्त्रोत-महिला एवं बाल विकास विभाग। (इस वर्ष का सर्वे)