
इलेक्ट्रिक व्हील चेयर पर बैठा बेटा और हरिद्वार से कावड़ लेकर आता पिता। फोटो: पत्रिका
दौसा। बांदीकुई उपखंड क्षेत्र के मोनाबास निवासी 15 वर्षीय एक बालक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है। जिसके उपचार में करोड़ों रुपए का खर्चा आता है, लेकिन सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिलने से अब परिजन भी चिंतित हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ नहीं है और इतनी मोटी रकम खर्च करने में भी असक्षम हैं। हालांकि पिता अब तक अपने पुत्र के उपचार में करीब 35 लाख रुपए खर्च कर चुका है। जिससे उसकी आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई है। अब मायूस होकर पिता भगवान भोलेनाथ की शरण में चला गया है। जहां पुत्र के स्वस्थ होने की मन्नत के लिए हरिद्वार से पैदल कावड़ लेकर मोनाबास पहुंचा है। वहां होलेश्वर महाराज का जलाभिषेक कर कावड़ चढ़ाकर हवन-यज्ञ भी किया और पुत्र के स्वस्थ होने की भोलेनाथ से अरदास लगाई है।
पिता कुलदीप शर्मा ने बताया कि वह 9 जुलाई को हरिद्वार से कावड़ लेकर रवाना हुआ और 14 दिन बाद अपने गांव पहुंचा। प्रतिदिन 50 से 55 किलोमीटर तक पैदल कावड़ लेकर चला। पुत्र एवं इस बीमारी से ग्रसित अन्य लोगों के स्वस्थ होने की कामना करते हुए सब कुछ भगवान भगवान भोलेनाथ के भरोसे छोड़ दिया है। ऐसी दुर्लभ बीमारी, जिन पर मोटा खर्चा आता है और हर परिजन वहन नहीं कर सकते। उसके लिए सरकार को भी विशेष बजट रखकर उनके उपचार की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। अब परिजन भी उपचार को लेकर पशोपेश की स्थिति में हैं।
पिता कुलदीप शर्मा ने बताया कि उसके एक बेटा एवं एक बेटी है। दोनों ही 10वीं कक्षा में अध्ययनरत हैं। पुत्र हार्दिक शर्मा जब 8-9 साल का था तो पैरों में दर्द होना एवं जकडऩ जैसी स्थिति होना शुरू हो गई। जयपुर, दिल्ली, मुंबई एवं चण्डीगढ़ सहित कई जगह ले जाकर उपचार कराया। जिसमें लाखों रुपए खर्च हो गए, लेकिन अब बच्चे की स्थिति सुधरने की बजाय धीरे-धीरे बिगडऩे लगी है। पहले तो चल फिर तक लेता था, लेकिन अब वह भी बंद हो गया। अब मात्र इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर पर ही बैठकर चलता है। जबकि वह पढऩे में होशियार है।
उन्होंने बताया कि चिकित्सकों ने पुत्र के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रसित होना बताया है। चिकित्सक इस बीमारी के उपचार पर 17 से 18 करोड़ रुपए का खर्चा होने की बात कह रहे हैं। इतनी बड़ी रकम उनके पास नहीं है और अब सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया। चिकित्सकों के मुताबिक इस बीमारी से ग्रसित होने पर चाल या दौडने में समस्या होने के साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी एवं धीरे-धीरे बाद में परेशानी बढऩे लगती है। इसके अलावा स्कोलियोसिस के विकसित होने एवं बीमारी बढऩे पर गतिशीलता कम होने जैसी समस्या भी आ सकती है। यह बीमारी बहुत कम लोगों में होती है।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक दुर्लभ बीमारी है। इसकी थैरेपी एवं इलाज पर 17 से 18 करोड़ रुपए का खर्चा आता है और अधिकतर विदेशों से ही उपचार होता है। उनके पास भी ऐसे कुछ मरीज परामर्श ले रहे हैं। वैसे जांच रिपोर्ट एवं फाइल देखने के बाद ही बताया जा सकता है कि मरीज के यह बीमारी किस स्तर पर है।
-डॉ.एस.के. सोनी, शिशुरोग विशेषज्ञ बांदीकुई
Published on:
25 Jul 2025 01:27 pm
बड़ी खबरें
View Allदौसा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
