
swine flu in dausa
दौसा. जिले में स्वाइन फ्लू का असर बढ़ता जा रहा है। गत पांच दिनों में ही दो जनों की मौत होने से चिकित्सा महकमे में भी हड़कम्प मचा हुआ है। अब तक तीन मौत हो चुकी है। ऐसे में विभाग की ओर से आनन-फानन में इन स्थानों के आस-पास रह रहे लोगों का सर्वे कराकर रक्त पट्टिकाएं ली गई। ऐहतियातन टेमीफ्लू दवा भी वितरित की जा रही है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 में स्वाइन फ्लू के बाद इस वर्ष फिर से बीमारी ने पैर पसारे हैं। इस वर्ष जिले के 17 लोगों के अब तक स्वाइन फ्लू की चपेट में आने की पुष्टि हुई है। मौसमी बीमारियों का सीजन शुरू होने के बाद अगस्त माह से मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है।
गत सोमवार को नांगल राजावतान के एक वृद्ध मानसिंह व 8 सितम्बर को लवाण की एक महिला गोमती देवी सहित अब तक कुल तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है। अकेले दौसा एवं लवाण में ही 7 लोग इस बीमारी की चपेट में आए हैं। गत सप्ताह लालसोट के एक युवक एवं दौसा का एक ढाई वर्षीय बच्चा भी इस बीमारी से पीडि़त पाए गए। ऐसे में पीडि़तों के आसपास के इलाके के लोगों में बीमारी को लेकर दहशत का माहौल है।
जिला अस्पताल में मंगलवार को बीमारी से बचाव के लिए 9 लोगों को टेमीफ्लू दवा दी गई। खास बात यह है कि संक्रमित बीमारी होने के कारण इसके उपचार में विशेष सावधानी रखनी पड़ती है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में 79 लोग इस बीमारी की चपेट में आए थे।
नहीं लिए जा सके सैम्पल
जिला अस्पताल स्थित जिले के एक मात्र स्वाइन फ्लू सैम्पल कलेक्शन सेंटर में प्रशिक्षित लैबकर्मी के हड़ताल में शामिल होने के कारण गत पांच दिन में एक भी सैम्पल नहीं लिया गया। ऐसे में इस बीमारी के लक्षण वाले मरीजों को स्क्रीनिंग सेन्टर में टेमीफ्लू दवा ही वितरित की जा सकी। इस वर्ष अब तक यहां केवल 17 लोगों के ही सैम्पल लिए गए।
गंदगी ने बढाई परेशानी
शहर एवं कस्बों में मानसून से पूर्व नालों एवं अन्य जगहों की सफाई सही तरीके से नहीं कराई गई। ऐसे में मौसमी बीमारियां भी फैल रही है। अकेले जिला अस्पताल में ही अगस्त माह में आउटडोर में 55 हजार 778 एवं इनडोर में 19 हजार 752 मरीज उपचार करा चुके है। 19 हजार 752 जांचें की गई। चिकित्सा विभाग नियमित फोगिंग भी नहीं करा रहा। गंदगी से मच्छर पनप रहे हैं।
उपचार करने वाले ही सुरक्षित नहीं
जिला अस्पताल में स्वाइन फ्लू का सैम्पल कलेक्शन सेन्टर एवं स्वाइन फ्लू वार्ड बना है, लेकिन इस बीमारी के उपचार से जुड़े चिकित्सक एवं अन्य नर्सिंगकर्मियों को सुरक्षित रखने के लिए ही स्वाइन फ्लू वैक्सीन नहीं लग पाई है। जयपुर में उपचार में लगे कई डॉक्टर इसकी चपेट में भी आ चुके हैं।
Published on:
13 Sept 2017 08:04 am
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