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डीएम और शिक्षा विभाग गलती सुधारें या 25 लाख जुर्माना भरें, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

High Court Order:दो स्कूलों को सुगम और दुर्गम की श्रेणी में रखे जाने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में शिक्षा विभाग और डीएम गलती सुधारें या फिर 25 लाख रुपये जुर्माना भरें। कोर्ट ने शिक्षा विभाग और डीएम को सोमवार तक पेश होने के आदेश दिए हैं।

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son along with his wife committed crime court to sentence them

son along with his wife committed crime court to sentence them (File फोटो)

High Court Order:हाईकोर्ट ने दो स्कूलों को सुगम और दुर्गम की अलग-अलग श्रेणी में रखे जाने को लेकर सख्त टिप्पणी की है। नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी जिले कंताड़ी गांव में दो स्कूलों को सुगम-दुर्गम की अलग-अलग श्रेणी में रखे जाने के मामले में शुक्रवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने पूर्व में एकलपीठ के दिए निर्देश को सही ठहराते हुए शिक्षा विभाग और डीएम उत्तरकाशी से खामी को सुधार कर रिपोर्ट सोमवार तक कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं। दरअसल, शिक्षक भवानी प्रसाद बिजल्वाण ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कंताड़ी गांव में एक प्राथमिक और एक जूनियर हाईस्कूल संचालित होता है। शिक्षा विभाग ने प्राथमिक स्कूल को सुगम और जूनियर हाईस्कूल को दुर्गम श्रेणी में रखा है, जबकि दोनों स्कूल एक ही गांव में स्थित हैं। पूर्व में इस मामले में एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए शिक्षा विभाग से गलती को सुधारने को कहा था, लेकिन सुधार नहीं किया गया। इसके बाद विभाग की ओर से एकलपीठ के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग से श्रेणी निर्धारित करने के मानक पूछे। हाईकोर्ट विभाग के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। लिहाजा खंडपीठ ने डीएम उत्तरकाशी और शिक्षा विभाग से कहा है कि या वे गलती सुधारें या फिर 25 लाख रुपये का जुर्माना भरें।

आईआईएम का मामला भी पहुंचा कोर्ट

नैनीताल हाईकोर्ट ने काशीपुर स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) का 2021 से 2023 के बीच करीब 8 करोड़ रुपये का ऑडिट नहीं कराए जाने के मामले पर शुक्रवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की बेंच ने उच्च शिक्षा सचिव से प्रकरण की जांच चार हफ्ते के भीतर करने को कहा है। साथ ही याचिका को एक प्रत्यावेदन की तरह मानकर उसमें लगाए गए आरोपों का निस्तारण विधि अनुसार करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि काशीपुर के सुखविंदर सिंह ने यह याचिका दायर की है।

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