
एरीज के वैज्ञानिकों ने आसमान में दूसरे सौरमंडल के धूमकेतु को दूरबीन में कैद किया है। फोटो सोर्स एआई
Mysteries Of The Universe:दूसरे सौरमंडल का एक अनूठा और रहस्यमयी मेहमान धरती के आसमान में विचरण कर रहा है। 3 आई एटलस नाम का यह दुर्लभ धूमकेतु सूर्योदय से पहले पूर्व दिशा में कुछ समय के लिए नजर आता है। इसकी खासियत यह है कि इसकी उत्पत्ति हमारे सौर मंडल में नहीं, बल्कि दूसरे तारे की प्रणाली में हुई है। वैज्ञानिकों के अनुसार अब तक ऐसे सिर्फ तीन ही पिंड खोजे गए हैं। नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) ने संपूर्णानंद दूरबीन से इस अंतरतारकीय धूमकेतु का सफल अवलोकन किया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के अधीन यह संस्थान देश में धूमकेतुओं के ध्रुवीकरण अध्ययन के लिए विशेष उपकरण का उपयोग करता है। एरीज के वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय दल ने धूमकेतु से निकलने वाले प्रकाश के ध्रुवीकरण का अध्ययन शुरू किया है। इससे उसकी संरचना और कणों के गुणधर्मों को समझने में मदद मिलेगी।इसी क्रम में एरीज के वैज्ञानिकों ने रात के अंधेरे में सूर्योदय से कुछ समय पहले आसमान में दूसरे सौरमंडल से आए धूमकेतूुको दूरबीन में कैद करने में सफलता हासिल की है।
एरीज के वैज्ञानिक प्रो. संतोष जोशी के मुताबिक धूमकेतु को अक्सर गंदे हिमगोले कहा जाता है। वे पानी की बर्फ, जमी गैसों, धूल और पत्थरों से बने होते हैं। सूर्य के पास आने पर इनकी बर्फ तेजी से गैस में बदलती है और इसके चारों ओर धुंधला गुबार यानी कोमा बनाती है। कई बार सूर्य के प्रकाश का दबाव इसकी लंबी पूंछ भी बना देता है, इसलिए इन्हें पुच्छल तारा कहा जाता है। 3 आई एटलस की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हमारे सौर मंडल का हिस्सा नहीं है। इसकी कक्षा साबित करती है कि यह किसी दूरस्थ तारकीय प्रणाली से होकर यहां पहुंचा है, गुजरने के बाद हमेशा के लिए अंतरिक्ष में खो जाएगा।
3 आई एटलस धूमकेतू को 2026 के तीसरे महीने तक दूरबीनों से देखा जा सकेगा, हालांकि समय के साथ इसकी चमक कम होती जाएगी। एरीज के वैज्ञानिकों का कहना है कि 3 आई एटलस जैसे अंतरतारकीय पिंड वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड की उन कहानियों को समझने का दुर्लभ मौका देते हैं, जिन तक सामान्यतः हमारी पहुंच नहीं होती। वैज्ञानिक समुदाय के लिए इसका अध्ययन अहम माना जा रहा है। दूसरे सौरमंडल के धूमकेतु की आसमान में मौजूदगी कौतुहल का विषय बना हुआ है। बता दें कि यह हमारे सौरमंडल का हिस्सा नहीं है, बल्कि अरबों किमी दूर किसी अन्य तारे के ग्रह मंडल से यात्रा करके आया है।
Updated on:
06 Dec 2025 11:49 am
Published on:
06 Dec 2025 11:33 am
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