देवघर। झारखंड की संताली कहानियों का क्रेज इन दिनों बच्चों ही नहीं बल्कि बड़ों में भी देखा जा रहा है। संताल परगना के गांवों में प्रचलित इन कहानियों को देवनागरी लिपि में तैयार किया गया है। यह कहानियां मनोरंजक और शिक्षाप्रद है।
जानकारी के अनुसार वर्ल्ड विजन नाम की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने स्थानीय पढ़े-लिखे लोगों की मदद से कुल 60 कहानियों का संग्रह तैयार है। 18 किताबों के रूप में इन कहानियों को प्रकाशित किया गया। कुछ पॉकेट बुक्स भी बनाए गए हैं। संताली कहानियों की ये किताबें वर्ल्ड विजन द्वारा संताल परगना के 28 रीडिंग क्लबों पर उपलब्ध कराए गए हैं। ये रीडिंग क्लब काठीकुंड और बोरियो (साहिबगंज) के 20 गांवों में चल रहे हैं।
वर्ल्ड विजन संस्था अपने लिटरेसी बुस्ट प्रोजेक्ट के तहत संताल परगना के इन चुने हुए 20 गांवों में लिटरेसी रीडिंग क्लब चला रहा है। लिटरेसी बुस्ट पायलट प्रोजेक्ट के इंचार्ज आंध्र प्रदेश के सिम्हा बालुडू बोनेटी हैं जो विगत दो वर्षों से झारखंड में सामाजिक अभियान में काम कर रहे हैं।
सिम्हा ने बताया कि साक्षरता मिशन को कामयाब करना है तो गांवों के लोगों को उनकी भाषा में टीचिंग मैटेरियल उपलब्ध कराना होगा। इसी विजन के तहत संताल परगना में हिन्दी के साथ ही संताली भाषा में कहानी संग्रह तैयार करने की जरूरत महसूस की गई।