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निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही नेताओं ने शुरू किया प्रचार

लोकल पार्टी ने भी अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए जोड़ घटाना शुरु कर दिया है

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राजनीति के खिलाड़ी

सूर्य प्रकाश राय की रिपोर्ट...

देवरिया. स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना आज ही जारी होनी थी लेकिन बीती शाम हालांकि सरकार के एक निर्णय से इसे दो दिन के लिए टाल दिया गया । अधिसूचना जारी होने या नही होने का कोई असर फिलहाल जिले में तो नही ही दिख रहा है क्योंकि स्थानीय निकाय चुनाव मैदान में उतरने का फैसला कर चुके नेता या कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से अपने प्रचार कार्य मे लग गए हैं ।

प्रदेश की सत्ता में बड़े बहुमत के साथ आयी भाजपा में बड़ा घमासान मचा दिख रहा है । जिला मुख्यालय की नगर पालिका सीट हो या फिर अन्य नगर पंचायत सभी जगहों पर लगे बड़े बड़े होर्डिंग खुद चुगली कर रहे हैं कि पार्टी में सब कुछ ठीक नही चल रहा है ।

ऐसा इसलिए कि हर उम्मीदवार खुद को भाजपा प्रत्याशी बताते हुए अपने लिए वोट माँगता दिख रहा है जबकि अभी पार्टी प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में उलझी दिख रही है । अन्य दलों या निर्दलीयों के बैनर तो कम ही दिखने में आ रहे हैं जबकि स्वयं घोषित भाजपा उम्मीदवारों के पोस्टर से शहर कस्बे पटे दिख रहे हैं ।

पुराने इतिहास पर नजर डालें तो दिखता है कि स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है जो पिछले बहुत सारे चुनाव से वार्ड तक के प्रत्याशियों को अपने दल के चुनाव निशान से मैदान में उतरने के लिए अधिकृत करती रही है । फिलहाल अब समाजवादी पार्टी , आम आदमी पार्टी , काँग्रेस और बहुजन समाज पार्टी भी इन चुनावों में जोर आजमाइश करती दिख रही है ।

अपना चुनाव चिन्ह वो अपने प्रत्याशियों को देंगे या फिर सिर्फ समर्थन , ये अभी आगे देखने वाली बात होगी । कुछेक पीस पार्टी आफ इण्डिया जैसी लोकल पार्टी ने भी अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए जोड़ घटाना शुरु कर दिया है ।

जिला मुख्यालय की देवरिया नगर पालिका के अध्यक्ष पद के लिए पीस पार्टी ने सबसे पहले अपने अल्पसंख्यक कोटे के उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर चुनावी बिगुल भी फूंक दिया । इधर आये दिन जनहित के मुद्दों पर धरना प्रदर्शन कर अपनी जगह बनाने वाली आम आदमी पार्टी ने भी इस दौड़ में सम्मिलित होकर अपने प्रत्याशियों की घोषणा आज कर दी ।

चूंकि देवरिया जिला समाजवादियों का गढ़ माना जाता रहा है । यहाँ के समाजवादी कार्यकर्ताओं की सीधी पैठ मुलायम और अखिलेश के दरबार तक देखी जाती रही है । पूर्व तक ज्यादातर विधानसभा सीटों पर उन्ही का कब्जा रहा है लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में सामने आए मोदी मैजिक के परिणामों के बाद स्थिति उलट सी गयी ।

हॉलांकि नगरी क्षेत्र के स्थानीय निकाय चुनावों में उसके जीत का ग्राफ ठीक नही था । अब ज्यादातर सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया है लेकिन इसके बावजूद अपने को बड़ा परिवार बताने वाली इस पार्टी में आसन्न निकाय चुनावों में अन्तर्विरोध सामने आना सौ प्रतिशत माना जा रहा है ।

इस जिले से सरकार में एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री भी बनाए गए हैं , सत्यता ये भी है कि इस चुनावों में नाव को पार लगाने की कुछ ना कुछ जिम्मेदारी इनके कंधों पर भी जरुर दी जाएगी ।

वैसे भविष्य के गतिरोधों से अनभिज्ञ बना पार्टी का संगठन हर सीट निकालने के अन्दरूनी जुगत में लगा दिख रहा है । बाजी किसके हाथ होगी ये अभी कहना बिल्कुल ही बेमानी होगा क्योंकि नगरीय क्षेत्र के इन चुनावों में अभी दलों ने अपने पत्ते नही खोले हैं वहीं दल वाले उम्मीदवार भी निर्दल ही उतरने को बेताब नजर आ रहे हैं।