
समय खत्म हुआ तो पार्षदों ने कहा कि बैठक आगे बढ़ाए, इस पर सोमवार को बैठक की सहमति बनी।
देवास. नगर निगम परिषद का अधूरा सम्मेलन 7 नवंबर को आयोजित किया गया। पूर्व में दो बार परिषद की बैठक हंगामें की भेंट चढ़ गई थी। तीसरी बैठक भी अधूरी रह गई। आखिर सत्र में पार्षदों के सवाल लगे थे, जिनका जवाब देने के पूर्व ही समय अवधि खत्म हो गई। अब सोमवार को दो घंटे के लिए परिषद की बैठक आयोजित की जाएगी।
गुरुवार को आयोजित परिषद की बैठक में भी हंगामा हुआ, कई मुद्दों पर परिषद के पार्षदों ने अधिकारियों को घेरा, कई मुद््दों पर असहमति भी बनी, जिस पर विचार व नियमों को देखने के बाद स्वीकृति देनेे पर सहमति बनी। परिषद की बैठक में जवाब देने के लिए अधिकारी पूरी तैयारी से नहीं आते हैं, इस बार भी जि?मेदार अधिकारी जवाब देते समय लडख़ड़ाते रहे। कई मुद्दों पर महापौर सुभाष शर्मा को जवाब देना पड़ा। शहर के अंदर सीवरेज की एक योजना का काम पूरा होने को हैं, अब दूसरे फेज की योजना शुरू होने वाली हैं लेकिन शहर हित की इतनी बड़ी योजना पर जवाब देने के लिए भी अधिकारियों की तैयारी नहीं दिखी। प्रश्न-उत्तर अवधि में जब नेता प्रतिपक्ष विक्रम पटेल ने सीवरेज योजना के कार्यों पर सवाल उठाते हुए जनता की परेशानी का मुद्दा उठाया तो जवाब देने के पूर्व ही अधिकारी घिर गए। नेता प्रतिपक्ष पटेल ने कहा कि आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई जा रही है कि सीवरेज ठेकेदार को 25 से 26 करोड़ का एक साथभुगतान कर दिया गया। निगम कार्यपालन अधिकारी कैलाश चौधरी इस पर कुछ जवाब देते इसके पूर्व ही पार्षद विनय सांगते ने चौधरी से कहा कि विधायक गायत्री राजे पवार के घर के सामने की सीवरेज योजना में कराया काम घटिया स्तर का है, वहां पर सीवरेज धंस रही हैं, पूरे शहर में क्या स्थिति होगी समझा जा सकता हैं।
हम तो सीवरेज की 13वीं करने वाले, आप जरूर आना
सांगते ने चौधरी से कहा कि हम तो सीवरेज की 13वीं का कार्यक्रम ही करने वाले हैं, आप भी 13वीं में आलू पूड़ी खाने जरूर आना। सांगते ने चौधरी से पूछा कि अगर सीवरेज ठेकेदार को राशि का भुगतान पहले ही कर दोगे तो फिर उस पर अपना नियंत्रण कैसे रखोगे, सीवरेज का ठेकेदार फिर आपकी क्यो सुनेगा। इस पर कार्यपालन अधिकारी ने कहा कि काम नहीं करने पर 20 प्रतिशत राशि काटते हैं। इसी बीच पार्षद राजेश यादव ने सीवरेज योजना में बड़ी गड़बड़ी की तरफ ध्यान दिलाते हुए पूछा कि सीवरेज कंपनी का काम बाले-बाले संबंधित कंपनी ने दूसरी कंपनी को दे दिया, क्या ये नियम विरुध्द नहीं हैं। इसके बाद निगम अधिकारियोंं की बोलती बंद हो गई। वे अंत: तक ठीक से जवाब नहीं दे पाए कि ये काम नियम के विरुध्द नहीं हैं। कार्यपालन यंत्री चौधरी ने सीवरेज योजना में दूसरी कंपनी की इंट्री पर बस इतना ही कहा कि इसके लिए पूर्व निगम आयुक्त विशालसिंह ने हाईकोर्ट के वकील से सलाह ली थी, चौधरी ने बताया कि कंपनी एक्ट में प्रावधान है कि संबंधित कंपनी दूसरी कंपनी को काम दे सकती हैं। इस पर पार्षद यादव ने फिर पूछा कि क्या निगम एक्ट इसकी इजाजत देता हैं कि काम नियम विरुध्द नहीं हैं। नेता सत्तापक्ष मनीष सेन ने चौधरी से कहा कि आप मानते हो कि सीवरेज योजना में कंपनी बदलकर कोई गलत नहीं किया गया तो आप परिषद को लिखकर दे दो, इस पर चौधरी चुप ही रहे।
अब बनेगी समिति, भाजपा-कांग्रेस पार्षद भी रहेंगे
सीवरेज योजना में क्या किसी दूसरी कंपनी की इंट्री हो सकती हैं, इसकी जांच अब भाजपा व कांग्रेस के पार्षदों की संयुक्त समिति करेगी। इसमें निगम के अधिकारी भी रहेंगे। भाजपा से समिति में विनय सांगते व राजेश यादव रहेंगे तो कांग्रेस से अकील हुसैन व पार्षद राजेश डांगी का नाम तय हुआ। पार्षद राजेश यादव ने सभापति से पूछा कि अगर मैें इस सवाल को नहीं उठाता तो क्या फिर भी जांच होती। क्या शासन से इसमें मार्गदर्शन उस समय भी मांगा जाता। सीवरेज योजना पर पार्षद दिलीप बांगर ने भी विस्तार से कार्यों को देखने की बात कही। वे बोले जहां से ये योजना शुरू की गई, इसकी जांच व कार्यों को वहीं से भी देखा जाए।
दैनिक वेतन भोगियों को किसने रखा, इसकी होगी जांच
बैठक में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल पर जवाब दे रही आयुक्त संजना जैन बता रही थी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सन् 2016 से नगर निगम में किसी भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को नौकरी नहीं दी गई हैं। इस मुद्दे पर फिर से विवाद खड़ा हो गया। नेता सत्ता पक्ष मनीष सेन ने कहा कि नगर निगम में अधिकारियों ने ही 150 कर्मचारियों की भर्ती कर ली। इस पर टोकते हुए सभापति अंसार एहमद ने कहा कि ये सं?या 314 हैं। इस पर फिर से बैठक में हंगामा हो गया। पार्षदों ने महापौर व आयुक्त से पूछा कि क्या आपकों इन 314 कर्मचारियों की भर्ती की जानकारी हैं, इसका जवाब देने के लिए महापौर सुभाष शर्मा खड़े हुए, महापौर शर्मा ने साफ कहा कि जो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी रखे गए हैं उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई, जबकि निगम का कानून कहता है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी से संबंधित जानकारी महापौर को भी दी जाना चाहिए। महापौर बोले इन दैनिक वेतन भोगियों की भर्ती के चलते ऑडिट विभाग मुझे नोटिस दे चुका हैं। पार्षद प्यारेलाल ने कहा जब महापौर, सभापति व आयुक्त को भी इसकी जानकारी नहीं है तो ये कर्मचारी कहां से आ गए, बात को काटते हुए पार्षद अकील हुसैन बोले ये मंगल ग्रह से आए हैं। महापौर ने कहा ऐसी भर्ती की जांच होना चाहिए। इस पर परिषद ने हामी भर दी। अब इन भर्तियों की जांच की जाएगी।
जांच रिपोर्ट आने पर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी
बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना का मुद्दा भी उठा। पार्षद अकील हुुसैन ने कहा नगर निगम सीमा के बाहर रहने वाले लोग भी शहर के अंदर योजना का लाभ ले रहे हैं। पार्षदों ने इसमें एक क?प्यूटर ऑपरेटर को बड़ा खिलाड़ी बताया, बोले वो पहले डील करता, पैसा लेने के बाद योजना में शामिल कर लेता, उस पर कार्रवाई होना चाहिए। हालाकि आयुक्त संजना जैन ने कहा कि योजना के नोडल अधिकारी, लिपिक व अन्य की गलती भी जांच में आ रही हैं। अगर अधिकारी गंभीरता से योजना को देखते तो अपात्रों को लाभ नहीं मिलता। आयुक्त ने कहा कि योजना में शामिल 1437 लोगों का भौतिक सत्यापन टीम बनाकर किया गया था, इनमें से 150 अपात्र आ रहे हैं। आयुक्त ने कहा कि पूरी रिपोर्ट आने के बाद जो दोषी अधिकारी व कर्मचारी है उन पर कार्रवाई की जाएगी।
14 ले रहे तो 16 करोड़ और ले लो, वार्डों के काम भी हो जाएंंगे
बैठक में बताया गया कि स्वच्छता अभियान में नगर निगम को अपनी तरफ से 14 करोड़ रुपए मिलाने होंगे। इस राशि के लिए निगम लोन लेगा। आयुक्त जैन ने बताया कि इसके लिए 5 सितंबर को नगरीय निकाय के प्रमुख सचिव मनीष सिंह का पत्र आया था। इतना सुनते ही पार्षदों ने फिर सवाल उठाते हुए कहा कि परिषद की दो बैठके हो चुकी है लेकिन अभी तक इस पत्र का खुलासा क्यो नहीं किया गया। क्या अधिकारी सभी काम बाले-बाले कर रहे हैं। साथ ही सवाल उठे की स्वच्छा के लिए आप लोन ले सकते हो तो वार्डों में विकास कार्यों के लिएभी राशि लोन में ले लो। सत्ता पक्ष पार्षद मनीष सेन ने कहा कि अगर 14 करोड़ स्वच्छता के नाम पर लोन ले रहे हो तो इसमें 16 करोड़ और बढ़ाकर 30 करोड़ का ही लोन अगर नगर निगम ले ले तो पार्षदों के वार्डों में काम भी हो जाएगा। इस पर महापौर सुभाष शर्मा ने कहा कि इसके लिए विकास कार्यों का अलग से प्रस्ताव बनाकर पार्षदों को देना होगा।
सात दिन बाद आपके कक्ष में ताला लगा दूंगा
बैठक में पार्षद ममता शर्मा ने पूछा कि डेढ़ साल बाद भी हमारे वार्ड अंधेरे में है। आखिर नगर निगम क्योंं बिजली की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। पार्षद शहनाज शेख ने बात को आगे बढ़ाते हुए पूछा कि जब बिजली के लिए 27 करोड़ का टैंडर हो चुका है तो फिर वार्ड अंधेरे में क्यो हैं। इसका जवाब देते हुए अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव ने कहा कि अगले सात दिन में सभी जगह पर लाइट की व्यवस्था हो जाएगी। इस पर सत्तापक्ष नेता मनीष सेन खड़े हुए व फिर पूछा कि आप पक्का दावा कर रहे हो ना। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं आपके कक्ष में ताला लगा दूंगा। इस पर अपर आयुक्त ने कहा कि वे काम पूरा करेंगे।
एक भी इंजीनियर काम को आकर नहीं देखता
बैठक में काम की देरी के चलते ठेकेदारों की 10 प्रतिशत राशि काटने के मुद्दे पर सभी पार्षदों ने एक सहमति से कहा कि ऐसा आगे से अब नहीं किया जाए, इसके चलते वार्डों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। वरिष्ठ पार्षद दिलीप बांगर ने भी कहा कि ठेकेदारों की 10 प्रतिशत की राशि को नहीं काटा जाना चाहिए। बांगर ने कहा कि जो काम 2018 में हो गई उनके बिल भी अभी तक लटके हुए हैं। जब हमारी व्यवस्थाएं ही सही नहीं है तो फिर ठेकेदारों पर गाज किसलिए गिराई जा रही हैं। वे बोले देवास नगर निगम का भगवान ही मालिक हैं। एक भी इंजीनियर कभी साइड पर जाकर नहीं देखता, आप सभी पार्षदों से भी पूछ लो अगर किसी ने साइड पर कभी इंजीनियर को देखा हो। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियोंं की लापरवाही इतनी ज्यादा है कि आप भूल जाओ की शहर में विकास कार्य हो सकेंगे।
Published on:
08 Nov 2019 11:21 am
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