बुजुर्गों के अनुसार रियासतकाल में नागदा की गिनती काफी बड़े कस्बे के रूप में होती थी। यहां का नाम देवास से भी अधिक जाना जाता था। बाद में धीरे-धीरे देवास बड़े नगर के रूप में विकसित होने लगा। नागदा के कई परिवार भी धीरे-धीरे देवास में शिफ्ट होने लगे, कामकाज भी वहीं से बढ़ता गया।