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देवास के नागदा में प्राचीन गणेश मंदिर: राजा जन्मेजय ने करवाई थी स्थापना, वटवृक्ष पर भी उभरी है आकृति

-मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालु बनाते हैं स्वास्तिक, मंदिर परिसर स्थित कुंड में सालभर रहता है पानी, हर बुधवार को लगता है भक्तों का तांता

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देवास के नागदा में प्राचीन गणेश मंदिर: राजा जन्मेजय ने करवाई थी स्थापना, वटवृक्ष पर भी उभरी है आकृति

देवास के नागदा में प्राचीन गणेश मंदिर: राजा जन्मेजय ने करवाई थी स्थापना, वटवृक्ष पर भी उभरी है आकृति

देवास. शहर से करीब 7 किमी दूर ग्राम नागदा के अंतिम छोर पर प्राचीन मंदिर में भगवान सिद्धि विनायक की प्रतिमा स्थापित है। मान्यता है यह मंदिर महाभारतकालीन है और इसकी स्थापना राजा परीक्षित के पुत्र राजा जन्मेजय ने करवाई थी। यहां दर्शन के लिए देवास के अलावा इंदौर, उज्जैन व अन्य शहरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। हर बुधवार को सुबह से शाम तक भक्तों का तांता लगता है। मंदिर परिसर में प्राचीन कुंड भी स्थित है। कुष्ठ रोग इत्यादि से पीडि़त व्यक्तियों द्वारा इस जल को भगवान को अर्पित कर प्रसाद के रूप में लेने से लाभ होता है। मंदिर परिसर में ही एक प्राचीन वटवृक्ष भी है जिसके निचले हिस्से मेंं भगवान गणेश की आकृति उभरी है। यहां भी श्रद्धालु पूजन करते हैं। पुजारी पं. मनीष दुबे ने बताया यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। मनोकामना के लिए भक्तों द्वारा स्वास्तिक बनाया जाता है।
प्रतिदिन सहस्त्र मोदकों से हवन
गणेशोत्सव के तहत मंदिर में शृंगार, पूजन-पाठ सहित विविध आयोजन होंगे। प्रतिदिन सहस्त्र मोदकों से हवन किया जाएगा। पूजन, हवन की शुरुआत सुबह 9 बजे से की जाएगी। गणेशोत्सव के दौरान श्रद्धालु सुबह 5 बजे से लेकर रात 10 बजे तक पूजन, दर्शन-वंदन कर सकेंगे। सुबह-शाम 7.30 बजे आरती की जाएगी।

रियासतकाल में कस्बा था नागदा
बुजुर्गों के अनुसार रियासतकाल में नागदा की गिनती काफी बड़े कस्बे के रूप में होती थी। यहां का नाम देवास से भी अधिक जाना जाता था। बाद में धीरे-धीरे देवास बड़े नगर के रूप में विकसित होने लगा। नागदा के कई परिवार भी धीरे-धीरे देवास में शिफ्ट होने लगे, कामकाज भी वहीं से बढ़ता गया।