
MP की दंगल गर्ल, बचपन में मां को खोया, रिश्तेदारों के ताने सहे, अब जाएगी बैंकॉक
देवास. आपने फिल्म दंगल तो देखी होगी। गीता और बबीता दो बहनों को उनके पिता ने रेसलिंग की दुनिया में नाम दिलाने के लिए वर्षों तक कड़ी मेहनत की थी। कुछ ऐसी ही मिलती-जुलती कहानी मध्यप्रदेश के देवास जिले के खातेगांव के पास ग्राम बछखाल की पूजा जाट की है। पूजा ने अपनी मेहनत से लड़कियों के लिए मिसाल पेश की है। साधारण परिवार की बिटिया पूजा ने साईं सेंटर लखनऊ में आयोजित महिला कुश्ती प्रशिक्षण शिविर में शानदार प्रदर्शन कर बैंकाक में 9 से 14 जुलाई तक होने वाली जूनियर एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप के लिए 53 किलोग्राम वर्ग में अपनी जगह पक्की कर ली है। पूजा इस वर्ग में एशियन चैम्पियनशिप में भाग लेने वाली मप्र की संभवत: पहली महिला खिलाड़ी होंगी। 10 साल की उम्र में मां को खाने और रिश्तेदारों के ताने सहने के बावजूद पूजा ने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा।
ऐसी है पूजा के संघर्ष की कहानी
पूजा जाट ने हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान 2014 और 2015 में स्कूल गेम्स में दो साल तक 100 मीटर दौड़ में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद पूजा प्रतिदिन बछखाल से खातेगांव आकर यहां के मैदान पर प्रैक्टिस करती थी। एड़ी में दर्द की वजह से कड़ी मेहनत के बाद भी वह अपनी दौड़ का टाइमिंग कम नहीं कर पा रही थी। डॉक्टर्स की सलाह के बाद उसने निराश होकर दौडऩा बंद कर दिया। पूजा के कोच योगेश जाणी उसकी खेल प्रतिभा को अच्छे से जानते थेे। जाणी ने उसे कुश्ती में हाथ आजमाने का कहा और उसे कुश्ती की ट्रेनिंग देना शुरू की। महज चार माह की ट्रेनिंग में ही पूजा ने स्टेट लेवल पर मेडल जीत लिया और अब लगातार आगे बढ़ रही हैं।
मां को खोया और घर की जिम्मेदारी उठाई
1 मार्च 2001 को जन्मी पूजा ने 10 साल की उम्र में मां को खो दिया। परिवार में पिता प्रेमनारायण के अलावा दो छोटे भाई दीपक और शुभम हैं। घर में कोई महिला नहीं थी। सुबह 4 बजे उठकर परिवार वालों के लिए खाना बनाने के साथ घर के बाकी काम निपटाती फिर बछखाल से 2 किमी पैदल चलकर मेन रोड से बस पकड़ती और खातेगांव आकर प्रैक्टिस करती।
मुझे मेरी बेटी पर पूरा भरोसा है
पूजा जब कुश्ती के लिए बाहर निकली तो रिश्तेदारों ने कहा कि लडक़ी है इसे बाहर मत भेजो। लडक़ी कुश्ती करेगी तो शादी नहीं होगी। उस समय पूजा के पिता कहते कि मुझे बेटी पर पूरा भरोसा है। पूजा के खेल अकादमी में सिलेक्शन के बाद पिता और दोनों भाई ही घर का काम करते हैं। पूजा कहती है विपरीत परिस्थितियों में भी घर वालों ने सपोर्ट किया। सरपंच गीता गोरा और सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मीनारायण गोरा ने अपने खर्चे से पूजा को इंदौर, उज्जैन, हरियाणा और दिल्ली में ट्रेनिंग दिलवाई।
Published on:
10 Jun 2019 05:34 pm
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