141 किमी हिस्से के लिए बना रहे डीपीआर एमपीआरडीसी ने मई में भोपाल से देवास तक के 141 किमी हिस्से के फोरलेन को सिक्सलेन करने के लिए फिजिबिलिटी सर्वे और डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के लिए एजेंसियों से प्रस्ताव मांगे थे। इसके लिए तीन जुलाई का समय दिया गया था। निविदा की कार्रवाई के बाद अब संबंधित एजेंसी डीपीआर बनाएगी। संबंधित एजेंसी सर्वे के दौरान यह देखेगी कि फोरलेन को सिक्सलेन में बदलने में कहां-कहां बाधाएं आ रही हैं। कहां कितनी जमीन की जरूरत है, कितने बाधक निर्माण हटाए जाएंगे और प्रोजेक्ट की लागत क्या होगी।
कांग्रेस के समय बनी थी एक्सप्रेस-वे की योजना उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सरकार के समय इंदौर-भोपाल के बीच सिक्सलेन एक्सप्रेस वे निर्माण की योजना बनाई गई थी। इसके साथ ही समानांतर कॉमर्शियल कॉरिडोर व सेेटेलाइट टाउनशीप बनाने की योजना थी। एक्सप्रेस वे मंडीदीप से भोपाल के समीप बड़झिरी व बड़झिरी से जिले के करनावद के बीच बनना था। इसको लेकर तैयारियां भी हुई लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
15 सालों में वाहनों का बढ़ा दबाव उल्लेखनीय है कि जब भोपाल रोड को फोरलेन किया गया था उस समय यातायात का दबाव कम था। पिछले 15 सालों में भोपाल रोड पर वाहनों की संख्या बढ़ी है। वहीं उज्जैन में महाकाल लोक बनने के बाद भी तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में इस रोड पर यातायात का दबाव अधिक है। वहीं 2028 में होने वाले सिहंस्थ में भी बड़ी संख्या में लोग इस रोड से आवागमन करेंगे। वर्तमान व आने वाले वर्षों की कार्ययोजना के हिसाब से ही एमपीआरडीसी ने अब इसे सिक्सलेन करने की कवायद शुरू की है।
हाइवे पर ज्यादा होते रहते हैं हादसे जिले में होने वाले हादसों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा हादसे हाइवे पर ही हो रहे हैं। इसमें भोपाल रोड भी शामिल है। भोपाल रोड फोरलेन पर गांवों में ओवरब्रिज या अंडर पास नहीं दिए जाने से रोड क्रॉस करते समय अकसर हादसे होते हैं। वहीं हाइवे के बीच खंती होने से कई बार वाहन अनियंत्रित होकर इसमें उतर जाते हैं। मौजूदा हाइवे पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा भी बड़ी समस्या है। इससे भी आए दिन हादसे होते हैं।
फैक्ट फाइल -149 किमी है देवास से भोपाल की दूरी-3 टोल हैं देवास-भोपाल के बीच -औसतन 5000 से ज्यादा वाहन आते-जाते हैं- औसतन 3 घंटे लगते हैं अभी भोपाल पहुंचने में -भोपाल-देवास फोरलेन को सिक्सलेन करने के लिए सर्वे कर डीपीआर बनाई जा रही है। इसके बाद शासन को डीपीआर भेजी जाएगी।-पवन अरोरा, संभागीय प्रबंधक, एमपीआरडीसी, भोपाल