Fourlane Highway: फोरलेन हाइवे निर्माण होने से इस रोड पर जहां हादसों में कमी आएगी वहीं सफर भी आसान होगा। 260 किमी में 6 हिस्सों में बन लोगों के समय की भी बचत होगी।
Fourlane Highway: मध्य प्रदेश के देवास जिले से निकले इंदौर-बैतूल हाइवे (Indore-Betul highway) को फोरलेन करने का कार्य तेजी से चल रहा है। फोरलेन निर्माण होने से इस रोड पर जहां हादसों में कमी आएगी वहीं सफर भी आसान होगा। साथ ही व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ेगी। इंदौर से बैतूल तक 260 किमी में 6 हिस्सों में बन रहे इस हाइवे लोगों के समय की भी बचत होगी। वर्तमान में टू-लेन होने से लोगों को सफर करने में अधिक समय लगता है। उधर हाइवे बनने के बाद चापड़ा व नेमावर औद्योगिक क्षेत्र को भी फायदा होने की उमीद है। लगभग डेढ़ से दो साल में यह प्रोजेक्ट पूरा होने की उमीद की जा रही है।
प्रोजेक्ट के तहत देवास जिले में तीन हिस्सों में हाइवे का निर्माण किया जा रहा है। इसके तहत पहले चरण में कन्नौद के ननासा से हरदा जिले के पिडगांव 55 किमी हिस्से में तेजी से कार्य चल रहा है। यहां काफी कार्य हो चुका है। इस हिस्से में नर्मदा नदी पर नया फोरलेन ब्रिज भी बनाया गया है जिस पर आवागमन शुरू हो चुका है। उधर दूसरे चरण में कन्नौद से राघोगढ़ के बीच 63 किमी के हिस्से में भी कार्य शुरू कर दिया गया है। यहां कुछ हिस्से में डामरीकरण हो चुका है जबकि कई पुल-पुलियाओं का कार्य जारी है। इसके अलावा राघोगढ़ से इंदौर के कनाडिया तक 27 किमी हिस्से में भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। यह कार्य 50 फीसदी से ज्यादा हो चुका है।
यातायात का है दबाव अभी इंदौर से कन्नौद तक रोड अभी टू-लेन है। नर्मदा क्षेत्र होने से हरदा नेमावर, होशंगाबाद क्षेत्र से प्रतिदिन हजारों ट्रक व डंपर रेत लेकर इंदौर व देवास पहुंचते हैं। यातायात का दबाव अधिक होने व रेत के ट्रक-डंपर की अंधगति के चलते यहां रोजाना हादसे होते हैं। वहीं वनक्षेत्र में आने वाले धनतालाब घाट पर दुर्घटना व वाहन खराब होने से आए दिन लंबा जाम लगता है। ऐसे में यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। यहीं बायपास न होने से डबलचौकी, चापड़ा, कन्नौद, खातेगांव जैसे बड़े कस्बों में जाम के हालात बनते हैं। बारिश के दिनों में मोखापीपल्या के समीप कालीसिंध नदी उफान पर आने पर भी आवागमन कई घंटों बंद रहता है। प्रोजेक्ट के तहत खातेगांव, नेमावर, डबलचौकी, राघौगढ़, चापड़ा, कन्नौद में बायपास बनेंगे।
खातेगांव के श्रीकांत गोस्वामी, बंटी खंडेलवाल का कहना है कि फोरलेन बन जाने के बाद सफर सुगम होगा। अभी इंदौर जाने में काफी परेशानी होती है। रास्ते में जाम भी मिलता है। वहीं टू-लेन रोड होने से समय अधिक लगता है। ऐसे में व्यापार के लिए इंदौर जाते हैं तो पूरा दिन खराब होता है। फोरलेन बनने के बाद कम समय में इंदौर जा सकेंगे और समय से वापस आ सकेंगे।
चापड़ा के किसान किशोर पाटीदार ने बताया इंदौर-बैतूल हाइवे पर वर्तमान में संभलकर चलना पड़ता है। यात्री बर्से व रेत के डंपर अंधगति से दौड़ते हैं। इनके कारण आए दिन हादसे होते हैं। फोरलेन तैयार हो जाएगा तो हादसों में कमी आएगी। साथ ही जगह-जगह लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिलेगी। किसान अपनी उपज लेकर समय से इंदौर सहित अन्य मंडियों तक पहुंच सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि इंदौर-बैतूल हाइवे के समीप देवास जिले में नेमावर व चापड़ा औद्योगिक क्षेत्र कई साल पहले विकसित किए गए थे। अभी तक यहां इक्का-दुक्का ही उद्योग आए हुए हैं। उद्योग न आने का बड़ा कारण रोड टू-लेन व जाम आदि की समस्या भी है। नया फोरलेन बनने के बाद सुविधाएं बढ़ेगी और इस क्षेत्र में नए उद्योग आने की संभावना बढ़ेगी। साथ ही अन्य व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ेगी।
इंदौर से बैतूल तक का हाइवे अभी टू लेन है। इस कारण अधिकांश वाहन चालक यहां से गुजरना पसंद नहीं करते और लंबी दूरी कर इंदौर से भोपाल होकर बैतूल-नागपुर आना-जाना ज्यादा बेहतर मानते हैं। जबकि इंदौर से भोपाल होते हुए नागपुर जाने में 80 किमी अतिरिक्त फासला तय करना पड़ता है। इसमें कम से कम दो घंटे ज्यादा लगते हैं। इंदौर-बैतूल हाइवे फोरलेन होने के बाद यह दूरी घटेगी और समय बचेगा।
ननासा से हरदा के पिड़गांव व कन्नौद से राघोगढ़ तक फोरलेन निर्माण का कार्य जारी है। कुछ हिस्सों में काम पूरा हो चुका है। पुल-पुलियाओं का निर्माण कार्य किया जा रहा है। एक से डेढ़ साल में कार्य पूरा होने की उमीद है। मनीष मीणा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई, हरदा