
नियमों को ताक में रखकर जगह- जगह तन गया है मोबाइल टॉवर
धमतरी@शैलेन्द्र नाग. टेलीकॉम कंपनियों की ओर से अपने उपभोक्ताओं को बेहतर सर्विस प्रदान करने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों में मोबाइल टावर लगाया गया है, लेकिन इसमें रेडिएशन की रोकथाम के लिए कोई बेहतर उपाए नहीं किया गया है। ऐसे में इससे निकलने वाली विकिरणों से मानव स्वास्थ पर खतरा बढ़ गया है। टॉवर के आसपास रहने वाले लोग कैंसर, ब्रेनहेमरेज समेत अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मोबाइल टॉवर से निकलने वाली विकिरणों से होने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक गाइड लाइन जारी किया है। इसके तहत घनी आबादी, स्कूल, कालेज और शासकीय दफ्तरों के आसपास मोबाइल टॉवर नहीं लगाया जाना है, लेकिन जिले में इसका शत-प्रतिशत पालन नहीं हो रहा है। एक जानकारी के अनुसार धमतरी जिले में बीएसएनएल समेत अन्य कंपनियों के करीब 151 से अधिक टॉवर लगे हुए हैं। इनमें से बीएसएनएल को छोड़कर अन्य निजी कंपनियों के मोबाइल टॉवर में अब तक इलेक्ट्रोमैग्निक रेडिएशन सिस्टम (रेडिएशन मापक यंत्र) नहीं लगाया जा सका है। यही वजह है कि मोबाइल टावर मानक से कई गुना अधिक रेडिएशन उत्सर्जित कर रहा है। इसका सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर पडऩे लगा है। जानकारों की मानें तो वर्ष-2010 में डब्लएचओ की ओर से इस संबंध में एक सर्वे भी कराया गया है।
रिपोर्ट में मोबाइल टॉवर से निकलने वाली विकिरणों से कैंसर होने का खुलासा किया है। पूर्व में इस तरह के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक निजी दूर संचार कंपनी को घनी आबादी से मोबाइल टॉवर हटाने का भी निर्देश दिया है। इसके बाद भी धमतरी जिले में नियमों की अनदेखी की जा रही है।
तय मानक का भी नहीं हो रहा पालन
सूत्रों की मानें तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रेडिएशन की सीमा 4.5 वॉट वर्ग मीटर से लेकर 9 वॉट प्रति वर्ग मीटर है, जबकि भारत देश में यह 0.45 से लेकर 0.9 वॉट प्रति वर्ग मीटर है। इसके बाद धमतरी शहर समेत जिले के अधिकांश जगहों पर लगे मोबाइल टॉवरों से रेडिएशन तय मात्रा से अधिक निकल रही है। ऐसे में जनस्वास्थ्य पर खतरा मंडराने लगा है।
नागरिकों में पनप रहा रोष
पत्रिका टीम ने मंगलवार को शहर के हटकेशर, रत्नाबांधा, मकेश्वर वार्ड, रिसाईपारा वार्ड, अम्बेडकर वार्ड समेत निगम क्षेत्र का जायजा लिया। देखा गया कि जिन क्षेत्रों में मोबाइल टॉवर के आसपास लोग निवासरत है। वे किसी न किसी रोग से पीडि़त है। नागरिक हेमंत निर्मलकर, पूरण कुशवाहा ने बताया कि मोबाइल टॉवर से निकलने वाली विकिरणों से उनका जीना मुहाल हो गया। उन्होंने संबंधित विभाग से इसे हटाने के लिए आवेदन भी प्रस्तुत किया है, लेकिन नतीजा सिफर रहा। इससे उनमें रोष पनपने लगा है।
मोबाइल टॉवर से निकलने वाला विकिरण मानव स्वास्थ्य समेत अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी हानिकारक है। मोबाइल से भी विकिरण उत्सॢजत होता है, इसलिए इसका भी उपयोग निश्चित समय के लिए किया जाना चाहिए।
- डॉ संजय वानखेड़े, मेडिकल विशेषज्ञ
Published on:
09 Apr 2022 02:37 pm
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