
दीया की जोत जले प्यारी के हरिसिंह पंवार को याद किया
दीया की जोत जले प्यारी के हरिसिंह पंवार को याद किया
बदनावर.
दीया की ज्योत जले प्यारी जैसे गीत को एचएमवी म्यूजिक कंपनी ने रेकॉर्ड किया। ऐसे स्वयंसेवक हरिसिंह पंवार को जन्म जयंती पर याद किया गया। नगर का बड़ा गार्डन भी उन्हीं के नाम पर समर्पित है। 2 जून 1923 को जन्मे हरिसिंह पंवार बचपन से ही आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित होकर संघ में प्रथम वर्ष शिक्षित होकर उन्होंने 1942 में संघ की शाखाएं संपूर्ण तहसील एवं आसपास के क्षेत्र में जाकर लगाना प्रारंभ की। सन 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगने से 5 माह तक जेलयात्रा भी की। सन 1953 में एक देश दो प्रधान एवं काश्मीर हमारा है आंदोलन में दिल्ली गए। वहां भी 4 माह की जेल एवं यातना सही। सन 1971 में बंगला देश मान्यता प्रदर्शन में अपने अनुज लालसिंह पंवार के साथ भी जेल यात्रा की। सन 1958 में जनसंघ में धार जिला संगठन मंत्री का दायित्व दिया गया। सन 1965 में दिल्ली के कक्षा आंदोलन में भाग लिया। सन 1968 में धार-झाबुआ जिला संगठन मंत्री रहकर पार्टी का आधार मजबूत किया। मालवा की माटी में जन्में हरिसिंह पंवार ने नगर जिले के साथ ही प्रदेश का नाम देशभर में रोशन किया। इतने साल गुजर जाने के बावजूद नगरवासियों ने उनके प्रति अगाध श्रद्धा आज भी नजर आती है। 21 फरवरी 1974 को उनका निधन हुआ था।
स्वयं ही प्रचार स्वयं ही वक्ता
हरिसिंह पंवार की जब गांवों में सभाएं होती थी। इसके पूर्व वे स्वयं गांव में मुनादी करते थे। बाद में जब वे स्वयं मंच के प्रमुख वक्ता होते तो लोग आश्चर्य से विस्मित हो जाते थे। घमंड उनसे कोसो दूर था। उस समय वे देश की ज्वलंत समस्याओं एवं मुद्दों पर बेबाकी से लिखते एवं बोलते भी थे। उनकी अनेक कविताएं एवं भजन लोगों में उर्जा का संचार कर देते थे।
Published on:
03 Jun 2020 11:04 am
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