
धीरज चौधरी.मांडू. एक ओर जहां पुरातात्विक इमरतों के संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है, वहीं राज्य पुरातत्व की इमारत संरक्षित करने के नाम पर ठेकेदार विभाग को चपत लगा रहा है। पर्यटन नगरी मांडू में चारों ओर पुरातन संपदा फैली हुई है, जिसमें से कुछ केंद्रीय पुरातत्व विभाग की, तो कुछ राज्य पुरातत्व विभाग की है।
लंबा तालाब रोड स्तिथ अष्टकोणीय इमारत, जिसे बोडिया महल के नाम से जाना जाता है, की गुंबद खराब हो चुकी है। इसकी मरम्मत के साथ यहां कुछ संरक्षण का कार्य भी चल रहा है। जिस ठेकेदार को यहां का काम सौंपा गया है, उसने पुरानी एक दीवार से पत्थर चुराकर नए कार्य में काम ले लिए। इससे पुरातात्विक धरोहर को क्षति पहुंची है।
इसका खुलासा तब हुआ जब पत्रिका ने यहां चल रहे कार्य का मुआयना किया और काम करने वाले मजदूरों ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि एक पुरानी दीवार से पत्थर निकालकर नए काम में लिए गए हैं।
राज्य पुरातत्व विभाग की इस इमारत का अपना एक महत्व है, जिसकी फोटो के लिए दूर देशों के लोग यहां आते हैं। बताया जा रहा है कि इसकी बनावट अफगान व पश्तूनी शैली की है। इसे कैमरे में कैद करने के लिए फोटोग्राफर और पर्यटक सूर्योदय के पहले ही यहां पहुंच जाते हैं।
घटिया सामग्री का इस्तेमाल
संरक्षण काम के लिए प्लास्टर में जो गेरू की थैली और घटिया सीमेंट के अलावा मिट्टी मिली रेत का उपयोग किया जा रहा है। इस बारे में जब मजदूरों और कारीगर से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह काम तो ऐसे ही होता है। सीमेंट से प्लास्टर करते हैं, वहीं चूना और गेरू दिखाने के लिए लगाया जाता है।
यह है कानून
मध्यप्रदेश स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल अवशेष अधिनियम 1964/3 के तहत राजकीय महत्व को घोषित किया गया है। यदि कोई भी इस स्मारक को क्षति पहुंचाता है या नष्ट करता है, खतरे में डालता है या दुरुपयोग करता पाया जाता है तो उसे इस कृत्य पर एक वर्ष के कारावास व एक हजार रुपए तक के जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।
पहले भी कर चुके हैं खुलासा
पुरातात्विक इमारतों को लेकर पत्रिका लगातार समाचार प्रकाशित कर रहा है। हाल ही में पत्रिका ने कुछ इमारतों के संरक्षण में पुरातन शैली के चूने और अन्य वस्तुओं को छोड़ सीमेंट के इस्तेमाल को लेकर खबर प्रकाशित की थी। बता दें कि घटिया सीमेंट के इस्तेमाल से पुरातन सौंदर्यता खो रही है। वहीं इस संरक्षण के ज्यादा समय तक टिकने पर भी संशय है। बावजूद इसके पुरातत्व विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और अब ठेकेदार खुलेआम पुरातात्विक धराहरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गैंती से पुरानी दीवार के पत्थर उखाड़कर नई दीवार में लगाए जा रहे हैं, जिसके अवशेष मौके पर साफ नजर आ रहे हैं।
यह तो गलत है
"गिरे पत्थरों का इस्तेमाल हो सकता है, लेकिन किसी दीवार या परकोटे को तोड़कर पत्थर निकालना जुर्म है। यदि ऐसा हो रहा है तो जांच करवाकर ठेकेदार के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।"
प्रकाश परांजपे, संरक्षण सहायक, राज्य पुरातत्व विभाग, धार
Published on:
18 Dec 2017 05:12 pm
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